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आइआइटी आइएसएम: विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व निदेशक बीएन सुरेश ने कहा, जीवन का हिस्सा बन गयी स्पेस टेक्नोलॉजी

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व निदेशक पद्मविभूषण बीएन सुरेश ने शुक्रवार को आइआइटी (आइएसएम) के पेनमैन हॉल में स्टूडेंट्स इंटरएक्शन में स्पेस टेक्नोलॉजी की महत्ता बतायी. कहा कि हाल में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में भी स्पेस टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका रही. धनबाद: गत चार दशकों में स्पेस टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का हिस्सा बन गयी […]

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व निदेशक पद्मविभूषण बीएन सुरेश ने शुक्रवार को आइआइटी (आइएसएम) के पेनमैन हॉल में स्टूडेंट्स इंटरएक्शन में स्पेस टेक्नोलॉजी की महत्ता बतायी. कहा कि हाल में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में भी स्पेस टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका रही.
धनबाद: गत चार दशकों में स्पेस टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का हिस्सा बन गयी है. पानी का पता लगाने से लेकर मोबाइल व टीवी के उपयोग तक में इसकी बड़ी भूमिका है. यही नहीं, हाल की सर्जिकल स्ट्राइक में भी इसकी अहम भूमिका है. ये कहना है विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व निदेशक पद्मविभूषण बीएन सुरेश का. वह शुक्रवार को आइआइटी (आइएसएम) के पेनमैन हॉल में स्टूडेंट्स इंटरक्शन में बोल रहे थे.
अमेरिका पर निर्भरता : उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि इसका खर्च अधिक है, पर दूसरे देशों की तुलना में यह खर्च अधिक नहीं. यह खर्च अमेरिका की तुलना में तीन फीसदी, यूरोप की तुलना में सात फीसदी व चीन की तुलना में 12 फीसदी पड़ता है. बताया कि सेटेलाइट नेविगेशन (सेटेलाइट नियंत्रण) के मामले में हम अमेरिका पर निर्भर हैं. इस मामले में भारत को आत्मनिर्भर होना होगा. उन्होंने बताया कि 40 साल पहले विक्रम साराभाई ने स्पेस टेक्नलॉजी का जो सपना देखा था, वह अब पूरा हो रहा है. आपदा प्रबंधन के तहत आने वाले साइक्लोन से लेकर दूसरी आपदाओं की सूचना देने में इसकी भूमिका अहम है.
लाइफ स्टाइल में बदलाव के टिप्स : समय की मांग है कि हम इस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं के प्रति न केवल सजग हों व समाधान का रास्ता ढूंढें, बल्कि इसे बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास करें. उन्होंने राष्ट्रहित में स्पेस टेक्नोलॉजी के प्रति सजगता की जरूरत बताने के साथ इसकी सुरक्षा के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव के टिप्स दिये. मौके पर उन्होंने इससे संबंधित छात्रों की जिज्ञासाओं का भी जवाब दिया. स्वागत भाषण निदेशक डीसी पाणिग्रही ने दिया. कार्यक्रम के को-ऑर्डिनेटर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी सोमनाथ चट्टोपाध्याय मौजूद थे. इससे पहले सुरेश ने संस्थान के प्रशासनिक भवन में निदेशक सहित डीन व विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की.

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