धनबाद : मानवाधिकार का उद्देश्य तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक इसके प्रति आम जन में सजगता नहीं आयेगी. इसे जगाने का पहला नैतिक दायित्व विधि से जुड़े लोगों का है. ये बातें लॉ कॉलेज धनबाद के प्राचार्य प्रो. एसएस चट्टोपाध्याय ने कही. वह शनिवार को संस्थान में मानवाधिकार व विधि पर आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने विदेशों से तुलना करते हुए भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि अपने देश में मानवाधिकार का ख्याल लोगों को तब तक नहीं आता, जब तक उनकी व्यक्तिगत परेशानियां नहीं फंसती. उन्होंने स्टूडेंट्स से अाह्वान किया कि प्रोफेशनल बनने से पहले वह अपने सामाजिक व नैतिक दायित्व को समझें व आमजन को मानवाधिकार के प्रति सजग करें. अधिवक्ता डीएलएसए सुबोध कुमार ने बताया कि क्रिमिल लीगल एक्ट का क्या मतलब है.
इसका लाभ कैसे लिया जा सकता है. उन्होंने स्टूडेंट्स से अाह्वान किया कि विधि के क्षेत्र में थ्योरी के साथ-साथ जमीनी अनुभव भी बेहद जरूरी है. उन्होंने थाने की एफआइआर से लेकर फर्दबयान, अनुसंधान व चार्जशीट से जजमेंट तक के बारे में सूक्ष्म जानकारी दी. मौके पर फैकल्टी कमल किशोर व नूतन एक्का ने नेशनल लीगल सर्विस अॉथोरिटी एक्ट, मो. असगर अधिवक्ता (एचआरएलएन) ने पब्लिक इंट्रेस्ट लेटिगेशन के मामले में मानवाधिकार के उपयोग पर चर्चा की. कार्यक्रम को मो. सबद अंसारी आदि ने भी संबोधित किया. स्वागत भाषण प्रो. अमरेश चौधरी ने दिया.