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कोयला मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी का फर्जी हस्ताक्षर कर 45 लाख का बिल लेने की साजिश का भंडाफोड़

धनबाद : बीसीसीएल के सतर्कता विभाग ने कोयला मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी एचएम मीना के जाली हस्ताक्षरित पत्र के आधार पर 45 लाख से अधिक रुपये का बिल भुगतान कराने की साजिश का भंडाफोड़ किया है. पत्र फैक्स के माध्यम से बीसीसीएल के सीएमडी (प्रभारी) एन कुमार के नाम भेजा गया है. इसमें सीएमडी को […]

धनबाद : बीसीसीएल के सतर्कता विभाग ने कोयला मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी एचएम मीना के जाली हस्ताक्षरित पत्र के आधार पर 45 लाख से अधिक रुपये का बिल भुगतान कराने की साजिश का भंडाफोड़ किया है. पत्र फैक्स के माध्यम से बीसीसीएल के सीएमडी (प्रभारी) एन कुमार के नाम भेजा गया है. इसमें सीएमडी को बिल भुगतान करने के लिए कहा गया है.

क्या है मामला : कुस्तौर के मेसर्स केके इंटरप्राइजेज, मेसर्स केके कंस्ट्रक्शन व मेसर्स केके इलेक्ट्रिकल के तथाकथित मालिक कौशल किशोर सिंह व कृष्ण कुमार का दावा है कि वर्ष 2007-11 के दौरान बीसीसीएल के कुस्तौर एरिया (वर्तमान में पीबी एरिया) में सिविल एवं अन्य विभाग में किये गये कार्यों के 56 बिल (करीब 45,37,772 रुपये) का भुगतान नहीं हुआ है.
बीसीसीएल के सीएमडी को पत्र मिलने के पश्चात बिल क्लियरेंस के लिए उस पत्र को बीसीसीएल के महाप्रबंधक (सतर्कता) केडी प्रसाद को भेज दिया गया. पत्र के सत्यापन के लिए महाप्रबंधक सतर्कता की ओर से 26 जुलाई को कोयला मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों के ई-मेल पर मेल कर पत्र के सही-गलत की जानकारी मांग गयी है, हालांकि अभी तक संबंधित अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं मिला है.
विजिलेंस ने पकड़ा : कुस्तौर क्षेत्र का ठेका घोटाला
बीसीसीएल प्रबंधन पर मंत्रालय का दबाव बना रहे थे ठेकेदार
वर्ष 2007-11 में किये कार्य के 56 बिल का हवाला दे किया भुगतान का दावा
सतर्कता विभाग की सूझबूझ से पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
मामला संज्ञान में आया है. जांच में पता चला है कि संवेदक ने जालसाजी कर कोयला मंत्रालय के पदाधिकारियों के हस्ताक्षरित पत्र बीसीसीएल प्रबंधन को भेजा है, ताकि कंपनी प्रबंधन पर दबाव बनाकर बिल का भुगतान करा सके. मामले की जांच चल रही है. दोषी ठेकेदार पर कार्रवाई भी की जायेगी.
केडी प्रसाद, महाप्रबंधक, सतर्कता (बीसीसीएल)
कैसे पकड़ा गया मामला
सीएमडी को भेजे गये दोनों फैक्स में प्रेषक का फैक्स नंबर अंकित नहीं था.
फैक्स में कॉपी टू में मेसर्स केके इंटरप्राइजेज, बोर्रागढ़, पीओ भागाबांध भी था. साथ ही मामले पर नजर रखने तथा संबंधित कागजात के लिए केके इंटरप्राइजेज को अधिकृत किया गया था. जो संभव नहीं है.
डिप्टी सेक्रेटरी एचएम मीना का अंगरेजी का हस्ताक्षर किसी नवसिखुआ का लग रहा था.
दफ्तर का पता लोक नायक की जगह नोक नायक लिखा था. सरकारी लेटर हेड में इस तरह की अशुद्धि आश्चर्यजनक है.
बीसीसीएल सीएमडी का नाम भी पेन से ठीक किया गया था.
कंस्लटेंट, मिनिस्ट्री ऑफ कोल का भी फर्जी पत्र
गत 23 अगस्त को बीसीसीएल, सीएमडी को एक और फैक्स आया जो डीएस रावत (कंस्लटेंट, मिनिस्ट्री ऑफ कोल) के नाम है. उसमें भी सीएमडी को मेसर्स केके इंटर प्राइजेज, मेसर्स केके कंस्ट्रक्शन व मेसर्स केके इलेक्ट्रिकल के पुराने बिल का भुगतान कराने के लिए लिखा गया है. पत्र पर उचित कार्रवाई के लिए उसकी एक कॉपी सीएमडी सचिवालय द्वारा महाप्रबंधक सतर्कता को भेज दी गयी.
जांच में पता चला कि डीएस रावत नाम का कोई अधिकारी कोयला मंत्रालय में कार्यरत ही नहीं है और न ही वेबसाइट पर ही उनका नाम अंकित है. जांच में पता चला कि डीएस रावत नाम के पदाधिकारी फिलहाल पेट्रोलियम एंड प्राकृतिक गैस मंत्रालय में पदस्थ हैं और उनका पदनाम जेडी, ऑयल है. सतर्कता विभाग को स्पष्ट हो गया कि मामला जालसाजी कर बीसीसीएल से लाखों के फर्जी बिल का भुगतान कराने का है.
घोटाले का पर्याय
जालसाजी, गड़बड़ी, घोटाला व भ्रष्टाचार को लेकर बीसीसीएल का कुस्तौर एरिया (वर्तमान में पीबी एरिया) लंबे समय से सुर्खियों में है. ठेकेदारों के घोटाले व जालसाजी के कारण ही बीसीसीएल प्रबंधन ने कुस्तौर क्षेत्र का अस्तित्व ही खत्म कर, एरिया को पीबी एरिया में मर्ज कर दिया. सीबीआई व विजिलेंस ने यहां से करीब 2900 फाइलें जब्त की थी. जिनमें 1900 फाइलें अनपेड बिल से संबंधित थी. शेष कैपिटल बिल से संबंधित फाइलों की जांच सीबीआई कर रही है. जबकि अनपेड से संबंधित बिल की जांच बीसीसीएल का विजिलेंस विभाग कर रहा है.
अब तक क्या
8 मई, 2011 को कुस्तौर एरिया ऑफिस में आग लगी.
2 अगस्त, 2011 को ओवररिपोर्टिंग को लेकर सीबीआइ का छापा
4 अगस्त को घूस देते जीएम एसपी सिंह गिरफ्तार
4 दिसंबर को बिल से संबंधित 1900 फाइलें जब्त

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