निरसा/मैथन: निरसा व गोविंदपुर प्रखंडों के 440 गांवों में जलापूर्ति की 700 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना की अंतिम बाधा भी दूर हो गयी. गुरुवार को कोलकाता में हुई दामोदर वैली रिजर्वायर रेग्यूलेटरी कमेटी (डीवीआरआरसी) की 130वीं बैठक में दोनों प्रखंडों को पानी देने पर अंतिम रूप से मुहर लगा दी गयी. यह जानकारी शुक्रवार को विधायक अरूप चटर्जी ने दी.
डीवीसी कोमोरा हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री चटर्जी ने बताया कि निर्णय के अनुसार पंचेत जलाशय से 7.15 एमजीडी व मैथन जलाशय से 11.74 एमजीडी पानी दोनों प्रखंड के गांवों को दिया जायेगा. इस संबंध में डीवीआरआरसी के सदस्य सचिव एसके राजन ने विधायक को एक पत्र भी सौंपा. श्री चटर्जी ने कहा कि अब वे योजना जल्द शुरू कराने का प्रयास करेंगे. लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व काम का शिलान्यास हो जाये. इसके लिए डीपीआर सरकार को पहले ही मिल चुका है. अब निविदा की कार्रवाई शुरू होगी.
दूसरे दलों पर निशाना : विधायक ने अन्य दलों को आड़े हाथों लिया. कहा कि कतिपय दलों ने आंदोलन को नौटंकी करार देने से परहेज नहीं किया. अब उन्हें यह एहसास हो जायेगा कि आंदोलन नौटंकी नहीं, जनता के हक की लड़ाई थी. इसमें उन्हें सफलता मिली. उन्होंने आंदोलन को नैतिक समर्थन देने वाले दलों व लोगों का आभार जताया. मौके पर तापस नाग, मैथन ओपी प्रभारी एसबी रजक, पेयजल व स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता अक्षय लाल प्रसाद आदि उपस्थित थे.
रंग लायी अरूप की मेहनत
इस योजना को लेकर अरूप चटर्जी लगातार सक्रिय रहे. विधानसभा लेकर हर सक्षम मंच पर मामला उठाते रहे. हाल ही में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने मैथन व पंचेत डैम से झारखंड को और पानी देने से साफ मना कर दिया. इसके बाद 8 जनवरी को विधायक अरूप चटर्जी ने केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के मैथन स्थित कार्यालयों में तालाबंदी की. 9 जनवरी को वार्ता के बाद ताला खोला गया. केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को अरूप ने पूरे मामले की जानकारी दी. 10 जनवरी को रांची में झारखंड सरकार व डीवीसी में वार्ता हुई, जिसमें सरकार ने अपने हिस्से का पानी दोनों प्रखंडों के लिए आवंटित करने का निर्देश डीवीसी को दिया. 16 जनवरी को इस संबंध में पत्र प्राप्त होने के बाद कोलकाता में हुई बैठक में अंतिम निर्णय लिया गया. 470.73 एमजीडी पानी का कोटा झारखंड को दोनों जलाशयों से निर्धारित है.