धनबाद : यह शख्स ऊर्जा निगम का मेनडेजकर्मी है. बिना किसी सुरक्षा उपाय के शनिवार को आइएसएम के पास इस तरह डाल काट रहा था. मामूली मजदूरी मिलती है. कभी-कभी तो छह-सात सौ रुपये महीना. अगर कोई हादसा हो जाये तो मुआवजा के लिए काफी हंगामा होता है. लगभग आधे घंटा के बाद उतरते वक्त सीढ़ी हिलने लगती है तो रस्सी के सहारे कर्मी नीचे उतरा. नीचे सरकारी बाबुओं ने फोन पर एक अधिकारी को खबर की-काम हो गया है.
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चढ़ जा भाई मेनडेजकर्मी, भगवान करेंगे भला!
धनबाद : यह शख्स ऊर्जा निगम का मेनडेजकर्मी है. बिना किसी सुरक्षा उपाय के शनिवार को आइएसएम के पास इस तरह डाल काट रहा था. मामूली मजदूरी मिलती है. कभी-कभी तो छह-सात सौ रुपये महीना. अगर कोई हादसा हो जाये तो मुआवजा के लिए काफी हंगामा होता है. लगभग आधे घंटा के बाद उतरते वक्त […]
धनबाद में लगभग 250 मेनडेज कर्मी है. उन्हें इसी व्यवस्था में काम करना पड़ता है. जबकि धनबाद से ऊर्जा निगम हर महीने 25 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में वसूलता है. झारखंड बिजली कामगार यूनियन के नेता रामकृष्णा सिंह बताते हैं कि बिना कोई संसाधन के ये कर्मी काम करते हैं.
पिछले वर्ष से इन कमियों को ग्रुप बीमा कराया गया है. इसके तहत दुर्घटना में मारे जाने पर पांच लाख रुपये देने का प्रावधान है. पहले फूटी कौड़ी का भी प्रावधान नहीं था. इसके साथ ही काम के दौरान चोट लगने पर इन्हें मेडिकल सेवा हाल में शुरू की गयी है. मेनडेज कर्मियों को दास्ताना, टॉर्च, रेन कोट, ड्रमबूट, आधुनिक उपकरण, सीढ़ी आदि मुहैया कराना चाहिए. कई बार इसके लिए मांग की गयी है. लेकिन अभी तक सरकार ने ध्यान नहीं दिया है. पिछले चेयरमेन के समय इन्हें नियमित करने की बात थी, लेकिन इस पर अभी तक पहल नहीं की गयी है.
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