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उठना बहुत है मुश्किल नजरों से गिर गये तो…

धनबाद: दो दांत टूटेंगे ठोकर से गिर गये तो, टूटेंगे हाथ-पांव ही ऊपर से गिरे तो, चलिएगा जरा संभलकर जीवन के रास्तों में, उठना बहुत है मुश्किल नजरों से गिर गये तो… जबलपुर से आयी कवयित्री रश्मि किरण की इन पंक्तियों ने मंगलवार को जमकर तालियां बटोेरी. मौका था विश्व महिला दिवस के अवसर पर […]

धनबाद: दो दांत टूटेंगे ठोकर से गिर गये तो, टूटेंगे हाथ-पांव ही ऊपर से गिरे तो, चलिएगा जरा संभलकर जीवन के रास्तों में, उठना बहुत है मुश्किल नजरों से गिर गये तो… जबलपुर से आयी कवयित्री रश्मि किरण की इन पंक्तियों ने मंगलवार को जमकर तालियां बटोेरी. मौका था विश्व महिला दिवस के अवसर पर हिंदी साहित्य विकास परिषद द्वारा अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन तथा महिला सम्मान समारोह का.

होटल सिद्दि विनायक धनसार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रख्यात कवियों की हास्य व्यंग्य की रचनाओें से जमकर ठहाके लगे. कार्यक्रम का उद्घाटन आज सम्मानित होने वाली महिलाओं ने किया. मौके पर उद्योगपति मनोज अग्रवाल ने अखिल राष्ट्र गूंज पत्रिका का विमोचन किया. इसके बाद प्रसिद्ध कवि तेज नारायण शर्मा (मुरैना), अशोक सुन्दरानी (नागौद), नवनीत हुल्लड़ (मुबंई), व्याख्या मिश्रा (कानपुर) और रश्मि किरण (जबलपुर) आदि ने एक से बढ़कर एक हास्य व्यंग्य कविताओं का पाठ कर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे अशोक सुन्दरानी ने पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा- हाथों में लकीरे नहीं फिर भी तकदीर मांगता है, चाकू सभंलता नहीं, शमशीर मांगता है…, क्या कहें हम भी पड़ोसी देश के बारे में, पूरी टीम से सौ रन बनते नहीं, पूरा कश्मीर मांगता है. उन्होंने कहा कि तनाव में नहीं रहें, तनाव दूसरे को दें. किसी अनजान आदमी के सामने हाथ जोड़कर नमस्ते कर दिजीए, वह दिन भर सोचता रहेगा कि कौन आदमी था.

कहा- खोल लेते दिल अगर, हंस बोल कर यारों के साथ तो आज औजारों के साथ दिल खोलना नहीं पड़ता. व्याख्या मिश्रा ने कहा हम तो गम के मारे हैं, जाए तो कहां जाएं, उनका वेवफाई से दम मेरा निकलता है. तेज नारायण शर्मा ने कहा- अक्षर भर जीवन है, लेकिन महाप्राण है नस-नस में, हम जनपत के युगचारण हैं, सरकार बदलना आता है. नवनीत हुल्लड़ ने कहा- मैंने एक नेताजी से पूछा आप दिन रात देश को खाते हो, फिर भी खुद को गांधावादी बताते हो. नेताजी बोले देखिए जी हम तो शुरू से ही गांधीजी के चिन्हवा पर चल रहे हैं. उन्होंने कहा था चरखा चलाना, सो चर खा चला रहे हैं. चर रहे हैं, खा रहे हैं. चरखा चला रहे हैं. समारोह में शहर की पिंकी अग्रवाल, रेखा रूगंटा, जया सिंह, सुषमा प्रसाद, स्वाति, शिल्पा अग्रवाल को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. समारोह में केदान नाथ मित्तल, अनंत नाथ सिंह, डा. राजर्षि भूषण, संजय आनंद, भरत नरूला, रजत खन्ना, सीताराम सिंह, राकेश शर्मा आदि थे. अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष महेश मेहंदी ने की. संचालन सचिव दिलीप चंचल ने किया.

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