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बीसीसीएल: 15 वर्षों से ट्रांसपोर्टिंग कार्य एक ही कंपनी को क्यों?

धनबाद: बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया में 1,13,14,08,520 रुपये का ट्रांसपोर्टिंग कार्य एनआइटी से 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को आवंटित किये जाने संबंधी खबर प्रकाशित होने के बाद कई सारे तथ्य सामने आ रहे हैं, जो बीसीसीएल की ट्रांसपोर्टिंग व्यवस्था में मौजूद कमियों को उजागर करते हैं. बताते हैं कि […]

धनबाद: बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया में 1,13,14,08,520 रुपये का ट्रांसपोर्टिंग कार्य एनआइटी से 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को आवंटित किये जाने संबंधी खबर प्रकाशित होने के बाद कई सारे तथ्य सामने आ रहे हैं, जो बीसीसीएल की ट्रांसपोर्टिंग व्यवस्था में मौजूद कमियों को उजागर करते हैं. बताते हैं कि बीसीसीएल की राजापुर परियोजना से कोयला ट्रांसपोर्टिंग और बीएनआर रेलवे साइडिंग में रैक लोडिंग के कार्य पर वर्ष 2005 से आज तक मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स का ही कब्जा रहा है. इसी तरह वर्ष 2008 से आज तक कुसुंडा एरिया में कोयला ट्रांसपोर्टिंग व रैक लोडिंग के कार्य भी मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स की ओर से किया जाता रहा है.

यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बीते 10 वर्ष से एक एरिया विशेष का ट्रांसपोर्टिंग कार्य बार-बार एक ही संवेदक (ठेकेदार) को कैसे आवंटित कर दिया जा रहा है? आखिर बिडिंग में अन्य ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों ने संबंधित एरिया में अपनी रूची क्यों नहीं दिखायी? इस सवाल का जवाब है-क्योंकि किसी अन्य ट्रांसपोर्टिंग कंपनी पर बीसीसीएल प्रबंधन के उच्चाधिकारियों की कृपा नहीं रही. ट्रांसपोर्टिंग कार्य के लिए बीसीसीएल प्रबंधन के उच्चाधिकारियों की कृपा जरूरी रही है.

उच्चाधिकारी की कृपा से बने ट्रांसपोर्टिग के बादशाह : बतातें है कि महाप्रबंधक स्तर के एक उच्चाधिकारी की कृपा से मेसर्स जीटीएस कोल को वर्ष 2005 में बीसीसीएल के पूर्ववर्ती कुस्तौर एरिया में ट्रांसपोर्टिंग का कार्य मिला. इसके बाद मेसर्स जीटीएस कोल का बीएनआर रेलवे साइडिंग पर भी कब्जा हो गया, जो वर्तमान में भी जारी है. रेलवे बैगन लोडिंग हो या ट्रांसपोर्टिंग सभी तरह के कार्य मेसर्स जीटीएस कोल के जिम्मे हैं. पूर्ववर्ती कुस्तौर एरिया के तत्कालीन जीएम वर्ष 2008 में कुसुंडा के जीएम बनाये गये. उनके महाप्रबंधक बनते ही कसुंडा एरिया के भी सभी ट्रांसपोर्टिंग व रैक लोडिंग के कार्य मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स के कब्जे में चले गये, जो वर्तमान में भी जारी हैं. बताते हैं कि जैसे-जैसे महाप्रबंधक स्तर के उस अधिकारी महोदय का पद व कद बढ़ता गया, वैसे-वैसे मेसर्स जीटीएस कोल का बीसीसीएल के ट्रांसपोर्टिंग व रैक लोडिंग में दबदबा बढ़ता गया.

ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर तीन वर्ष का क्यों?

बीसीसीएल में वर्ष 2015 से पूर्व ट्रांसपोर्टिंग के सभी टेंडर तीन से छह माह के लिए होते थे. टेंडर की राशि भी एक करोड़ से कम होती थी. लेकिन वर्ष 2015 में बीसीसीएल में ट्रांसपोर्टिंग के टेंडरों का ट्रेंड ही बदल दिया गया. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीन व छह माह के लिए होने वाला टेंडर तीन या चार-चार वर्षों के लिए होने लगा. इतना ही नहीं एक करोड़ से कम के टेंडर 88 व 100 करोड़ के होने लगे. सवाल यह कि आखिर बीसीसीएल उच्च प्रबंधन ने ट्रांसपोर्टिंग के टेंडर में इनता बड़ा बदलाव क्यों किया? इस बदलाव को संवेदक को फायदा पहुंचाने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.

ट्रांसपोर्टिंग पर अतिरिक्त खर्च क्यों?

बीसीसीएल की सीएमसी विभाग ने एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) नंबर 13/2015/847 के तहत एक नवंबर 2015 को 69,58,00,208 रुपये का टेंडर मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को एनआइटी रेट से दो प्रतिशत हाई रेट पर आवंटित किया. इसके मुताबित मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को तीन से चार किलोमीटर की लीड में ही कुसुंडा, बस्ताकोला व लोदना रेलवे साइडिंग तक 35,860,440 एमटी कोयला की ट्रांसपोर्टिंग चार वर्षों (1460 दिन) में करनी है. सवाल यह कि एक ओर जहां बीसीसीएल प्रबंधन कुसुंडा का कोयला बस्ताकोला भेजने के लिए टेंडर निकाल रहा है, वहीं दूसरी ओर बस्ताकोला का कोयला रैक की उपलब्धता कम होने का हवाला देते हुए 2-3 किलोमीटर स्थित सीके साइडिंग से न भेजकर 10-11 किलोमीटर दूर बीएनआर रेलवे साइडिंग से ट्रांसपोर्टिंग कर भेजा जा रहा है. ट्रांसपोर्टिंग का जिम्मा मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स को मिला हुआ है. वर्तमान में मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स की ओर से बस्ताकोला एरिया की राजापुर, दोबारी व घनुडीह परियोजनाओं का कोयला ट्रांसपोर्टिंग कर पीबी एरिया स्थित बीएनआर साइडिंग भेजा रहा है.

कुछ नहीं कह सकता : दास

इस मामले में बीसीसीएल प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए प्रभात खबर ने सीएमसी विभाग के महाप्रबंधक एसके दास से संपर्क किया. श्री दास ने इस मामले में कुछ भी बात बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता.

प्रभात खबर का खुलासा

प्रभात खबर के 19 जनवरी के अंक में प्रकाशित खबर में यह खुलासा किया गया था कि बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया का 113,14,08,520 रुपये का ट्रांसपोर्टिंग कार्य मेसर्स जीटीएस कोल सेल्स कंपनी को एनआइटी से 28.5 प्रतिशत हाई रेट पर आवंटित कर दिया गया. वह भी बिना कोयला क्रशिंग के ही. उसी एरिया में उसी एनआइटी का टेंडर मेसर्स यूनाइटेड कोल कैरियर कंपनी को मात्र दो प्रतिशत हाई रेट पर आवंटित किया गया है. दोनों टेंडरों की तुलना करें तो बीसीसीएल को करीब 22 करोड़ 88 लाख का नुकसान होता दिख रहा है. बीसीसीएल के इतिहास में किसी भी ट्रांसपोर्टिंग कार्य का टेंडर इतनी हाई रेट पर आज तक आवंटित नहीं किया गया है.

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