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धनबाद गंदा क्यों?

गंदगी के खिलाफ छेड़नी होगी जंग. नगर निगम, सरकार स्तर से पहल तो होनी ही चाहिए, खुद भी होना होगा जागरूक. पहले जगह-जगह डस्टबिन और कचरा डंपिंग स्थल की व्यवस्था हो. हमें भी जहां-तहां गंदगी फेंकने और पॉलीथिन का प्रयोग बंद करना होगा. क्योंकि धनबाद के दामन पर यह दाग अच्छा नहीं. हम सबको इसे […]

गंदगी के खिलाफ छेड़नी होगी जंग. नगर निगम, सरकार स्तर से पहल तो होनी ही चाहिए, खुद भी होना होगा जागरूक. पहले जगह-जगह डस्टबिन और कचरा डंपिंग स्थल की व्यवस्था हो. हमें भी जहां-तहां गंदगी फेंकने और पॉलीथिन का प्रयोग बंद करना होगा. क्योंकि धनबाद के दामन पर यह दाग अच्छा नहीं. हम सबको इसे एक चुनौती के रूप में लेना होगा.

धनबाद : देश के सर्वाधिक दस गंदे शहरों में धनबाद सबसे ऊपर पायदान पर है. शहरी विकास मंत्रालय ने सोमवार को सर्वे रिपोर्ट जारी की है. पिछले दिनों शहरी विकास मंत्रालय की ओर से देश के चुनिंदा 73 शहरों का सर्वे कराया गया था. स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत योजनाएं पर क्या काम हुए, इसकी अद्यतन जानकारी के लिए पांच बिंदुओं पर शहरवासियों से सवाल किये गये और मंत्रालय की ओर से क्वालिटी ऑफ काउंसिल ने धनबाद में कुछ चिन्हित स्पॉट का ऑन लाइन सर्वे किया था. रिपोर्ट के आधार पर शहरी विकास मंत्रालय ने रैंकिंग जारी की.
देश के 73 शहरों का हुआ था सर्वे : देश के 73 शहरों में सफाई की स्थिति पर शहर की रैंकिंग तय की गयी. शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पांच बिंदुओं पर लोगों की राय ली गयी. केंद्र सरकार ने एक टोल फ्री नंबर 180026727777 जारी किया किया था. मिस्ड कॉल करने पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू की रिकार्डेड आवाज में पांच सवाल पूछे गये थे. क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआइ) को सर्वे का जिम्मा दिया था. इसके अलावा 8-12 जनवरी तक क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने धनबाद में स्पॉट सर्वे किया.
पूछे थे ये पांच सवाल
1. क्या आपको अपना- क्षेत्र साफ लगता है?
2. घर का कचरा डालने के लिए कचरे का डिब्बा मिलता है?
3. निगम द्वारा आपके घर आकर कचरा इकट्ठा किया जाता है?
4. घर के पास सार्वजनिक या सामुदायिक शौचालय है?
5. आपके घर में शौचालय है?
और यह है हकीकत
सर्वे में पूछे गये पांच सवालों में धनबाद पूरी तरह फिसड्डी साबित हुआ. शहर के कुछ क्षेत्रों को छोड़ सफाई व्यवस्था पूरी तरह नारकीय बनी हुई है. दूसरे सवाल में धनबाद कहीं नहीं था. पिछले पांच साल में कचरा का डब्बा रखने की कहीं भी व्यवस्था नहीं की गयी. लिहाजा जहां तहां कचरा डंप फेका जाता है. तीसरे सवाल में घर से कचरा उठाने की बात तो दूर कभी सफाई मजदूर नजर नहीं आते हैं. ए टू जेड के समय छह माह तक लोगों को डोर टू डोर कलेक्शन की सुविधा थी. शौचालय की योजना तो आयी लेकिन लूट खसोट में शौचालय का काम भी अधर में लटका हुआ है.
इसके अलावा क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने धनबाद, सिंदरी, झरिया आदि क्षेत्रों में सफाई का हाल जाना और ऑन लाइन रिपोर्टिंग की. इसके आधार पर तय हुई रैंकिंग.

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