धनबाद : शानो-शौकत की जिंदगी चाहनेवाले युवाओं के लिए आइआइटी-आइएसएम की डिग्री से बेहतर रास्ता क्या हो सकता है. शीर्ष प्रतिष्ठानों में नामांकन बेहतर कैरियर की गारंटी है, लेकिन कोई इस इंजीनियरिंग कैंपस में रह कर भी दीवानगी की हद तक फिल्मों से जुड़ा हो और कैरियर के लिए इसी रास्ते को चुने, तो क्या कह सकते हैं. मुजफ्फरपुर के कुमारेश भट्ट आइएसएम, धनबाद में बीटेक (खनन अभियंत्रण) तृतीय वर्ष के छात्र हैं और युवा संभावनाशील फिल्मकार श्रीराम डाल्टन की एक फिल्म में बतौर सहनिर्देशक सक्रिय हैं. इसी उम्र में उन्होंने एक ऑनलाइन वीडियो कंपनी ‘फ्रोजेन बर्ड फिल्म्स’ बनायी है.
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आइएसएम के छात्र ने बनायी फिल्म निर्माण कंपनी
धनबाद : शानो-शौकत की जिंदगी चाहनेवाले युवाओं के लिए आइआइटी-आइएसएम की डिग्री से बेहतर रास्ता क्या हो सकता है. शीर्ष प्रतिष्ठानों में नामांकन बेहतर कैरियर की गारंटी है, लेकिन कोई इस इंजीनियरिंग कैंपस में रह कर भी दीवानगी की हद तक फिल्मों से जुड़ा हो और कैरियर के लिए इसी रास्ते को चुने, तो क्या […]
ऑनलाइन क्राउड फंडिंग मंच
वीडियो की मांग के आधार पर भारत में ‘फ्रोजेन बर्ड फिल्म्स’ अकेली ऑनलाइन क्राउड फंडिंग मंच है. उसकी कंपनी के संरक्षक खाद इंडिया डॉट कॉम के शोएब खान हैं. कुमारेश ने अपनी फिल्म निर्माण कंपनी को देश में क्राउड फंडिंग के लिए एक मंच की तरह विकसित करना चाहा है.
उसने इस मंच से देश के एक सौ इंजीनियरिंग कॉलेजों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इस प्लेटफॉर्म से अब तक 25 इंजीनियरिंग कॉलेज जुड़ गये हैं. इनमें आइआइटी गुवाहाटी, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी गांधीनगर, एनआइटी दुर्गापुर और केआइटी शामिल हैं. फिलहाल इस कंपनी को दिल्ली से चार लोगों की टीम संचालित करती है. इन चार में अभिषेक, वैशाली मोघे, शिवम सिंह तथा सुष्मिता गुप्ता शामिल हैं.
स्कॉटिश शृंखला की लांचिंग राइट : वे अब तक ‘बेस्ट सेलर’, ‘गॉड फादर : रॉ वर्सन’, ‘स्पैरो’ जैसी तीन शॉर्ट फिल्म्स बना चुके हैं. इनमें ‘गॉड फादर : रॉ वर्सन’ लंदन की जैम्सन अंपायर अवार्ड के पहले राउंड के लिए
आइएसएम के छात्र..
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देशों की 200 फिल्मों में शामिल थी. कुमारेश को स्कॉटिश निर्माता-निर्देशक डेविड बेकर की वेब शृंखला ‘क्राइम लॉर्ड’ को भारत में फ्रोजेन बर्ड की साइट पर लांचिंग राइट प्राप्त है. इस साइट पर फिलहाल इसके टीजर देखे जा सकते हैं.
कंटेंट क्रिएटर के लिए फायदेमंद
यू ट्यूब जैसी वेबसाइट पर कंटेंट क्रिएटर को विज्ञापन का 40 फीसदी ही दिया जाता है, जबकि ‘फ्रोजेन बर्ड फिल्म’ पर जारी सामग्री के निर्माता को इस विज्ञापन का 70 फीसदी अंश देने की योजना है. इंटर्नशाला के जरिए इस फोरम ने अब तक दस इंटर्न का काम किया है.
फिल्म का जुनून : कुमारेश में स्कूली जीवन से फिल्मों को लेकर खास झुकाव था. प्रथम श्रेणी में 10वीं व 12वीं उत्तीर्ण कुमारेश का मन कला की पढ़ाई करने का था, पर अभिभावक के आग्रह व दबाव को देखते हुए उन्होंने उनका मन रखने के लिए एआइट्रिपलइ की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में उसने आइएसएम क्वालिफाई किया. कुमारेश का कहना है कि बीटेक सिर्फ अभिभावकों की खुशी के लिए कर रहा हूं, पर कैरियर तो फिल्मों में ही बनाऊंगा.
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