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ज्ञानवर्धन का सरल माध्यम हैं पुस्तकें

धनबाद: यूनानी दार्शनिक व राजनीतिक चिंतक सिसरो ने कहा था जिस तरह आत्मा शरीर को जीवित रखती है, उसी तरह पुस्तकें किसी घर को अर्थवान करती हैं. मनुष्य को चेतना संपन्न करने की पुस्तक की इसी भूमिका को रेखांकित करता हुआ राष्ट्रीय पुस्तक मेला शुक्रवार को जिला परिषद मैदान में शुरू हुआ. मेले का आयोजन […]

धनबाद: यूनानी दार्शनिक व राजनीतिक चिंतक सिसरो ने कहा था जिस तरह आत्मा शरीर को जीवित रखती है, उसी तरह पुस्तकें किसी घर को अर्थवान करती हैं. मनुष्य को चेतना संपन्न करने की पुस्तक की इसी भूमिका को रेखांकित करता हुआ राष्ट्रीय पुस्तक मेला शुक्रवार को जिला परिषद मैदान में शुरू हुआ.

मेले का आयोजन पलामू पुस्तक मेला समिति ने किया है.

ज्ञानवर्धन का सरल जरिया : इस दस दिवसीय (29 नवंबर से आठ दिसंबर तक) राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन सांसद पीएन सिंह ने किया. श्री सिंह ने पुस्तक को ज्ञानवर्धन का सबसे सरल जरिया बताते हुए कहा कि यह मेला महज व्यवसाय के लिए नहीं, बल्कि जमीन से जुड़ी किताबी संस्कृति को बचाने का एक माध्यम भी है. आयोजन समिति से मैदान का प्रतिदिन दस हजार रुपये भाड़ा लेना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है.

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