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घर-घर का बजट गड़बड़ाया. अरहर के बाद उरद दाल में उछाल

धनबाद: अरहर दाल के बाद अब उरद दाल में उछाल है. एक माह पहले 140 रुपये किलो बिकनेवाला उरद छलांग लगाकर 160 रुपये किलो पहुंच गया. दूसरी ओर लहसून के भाव भी चढ़ने लगे हैं. एक माह पहले सौ रुपये किलो बिकनेवाला लहसून लंबी छलांग लगाकर 150 रुपये किलो पहुंच गया है. सरसो तेल के […]

धनबाद: अरहर दाल के बाद अब उरद दाल में उछाल है. एक माह पहले 140 रुपये किलो बिकनेवाला उरद छलांग लगाकर 160 रुपये किलो पहुंच गया. दूसरी ओर लहसून के भाव भी चढ़ने लगे हैं. एक माह पहले सौ रुपये किलो बिकनेवाला लहसून लंबी छलांग लगाकर 150 रुपये किलो पहुंच गया है. सरसो तेल के भाव यथावत हैं. सलोनी ब्रांड सरसों तेल 120 रुपये जबकि इंजन ब्रांड की कीमत 134 रुपये किलो हैं. अरहर दाल के भाव में कोई खास गिरावट नहीं आयी है. जिला प्रशासन द्वारा की गयी कार्रवाई के बाद अरहर दाल लुढ़कर 145 रुपये किलो पहुंची, जो पिछले एक माह से यथावत है.
क्या यही हैं अच्छे दिन : पूरे विश्वास के साथ आमलोगों ने भाजपा का साथ दिया. मोदी सरकार के एक साल बीत गये, लेकिन महंगाई कम होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसी हालत हो गयी है कि मध्यवर्गीय परिवार का बजट गड़बड़ा गया है. स्कूल फीस हो या नर्सिंग, ट्रेवलिंग हो या परिधान, हर तरफ महंगाई की मार है. हालात यह है कि थाली में रोटी-सब्जी है तो दाल नहीं. खाद्यान्न तो खाद्यान्न सब्जी भी आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है. बाजार में एक-दो सब्जी को छोड़कर कोई सब्जी तीस रुपये किलो से कम नहीं है.
मार्केट से आउट हुई विदेशी दाल :
बाजार से विदेशी अरहर दाल आउट हो चुकी है. कारोबारियों की मानें तो दलहन की खेती प्रभावित होने के कारण दाल की कीमतों में उछाल थी. इधर एक माह से दलहन के भाव में हल्की गिरावट आयी है. विदेशी अरहर दाल 142 रुपये किलो बिक रही थी, लेकिन आम उपभोक्ता इसे पसंद नहीं करते थे. जब देशी अरहर दाल के भाव 145 रुपये किलो हो गये हैं तो फिर विदेशी दाल क्यों बेचें.

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