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अपहरण की कहानी, प्रदीप की जुबानी

धनबाद: मूलत: गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के कुलीबा निवासी राम प्रसाद मंडल के दो बेटे व एक बेटी है. बड़ा बेटा प्रदीप होटल व कोयले के व्यवसाय में हाथ बंटाता है. छोटा बेटा व बेटी नौकरी करती है. 17 अप्रैल की रात जीटी रोड होटल से बड़ा जमुआ स्थित घर जाते समय रात […]

धनबाद: मूलत: गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के कुलीबा निवासी राम प्रसाद मंडल के दो बेटे व एक बेटी है. बड़ा बेटा प्रदीप होटल व कोयले के व्यवसाय में हाथ बंटाता है. छोटा बेटा व बेटी नौकरी करती है. 17 अप्रैल की रात जीटी रोड होटल से बड़ा जमुआ स्थित घर जाते समय रात रात के साढ़े 10 बजे रास्ते में प्रदीप को अगवा कर लिया. पूरी कहानी खुद प्रदीप ने सोमवार की शाम पत्रकारों को सुनायी.

मैं अपनी वेगन आर कार से रात को होटल से घर लौट रहा था. घर से कुछ ही पहले विपरीत दिशा से एक इंडिगो कार सामने आ गया. मुङो गाड़ी रोकनी पड़ी. तब तक पीछे से भी एक गाड़ी आ गया. मैंने गाड़ी से उतर कर सामने की गाड़ी को साइड करने के लिए बोला. मुङो जरा भी क्रिमिनल एक्टिविटी का आभास नहीं हुआ. इंडिगो से दो लोग उतरे. उनके हाथ में तौलिया था. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया. दोनों के तौलिये के नीचे हाथ में आर्म्स था.

धक्का-मुक्की हुई ओर वे लोग मुङो इंडिगो में बैठा कर गोविंदपुर की ओर चल दिये. मोबाइल ले लिया. आंख व मुंह बांध दिया. आधा घंटे बाद नींद का इंजेक्शन दे दिया. सुबह नौ बजे नींद खुली तो मैंने अपने आप को एक मिट्टी के घर में पाया. वहां ऊपर से टाली रखी हुई थी. चारों ओर खेत ही खेत था.

वे लोग मुझे नाश्ता व खाना समय पर देते थे. कभी प्रताड़ित नहीं करते थे. यह पूछने पर कि मुङो यहां क्यों लाया गया है, वे बोलते नहीं मालूम. उन लोगों ने तीन दिन तक मेरा हाथ भी बांधे रखा. आंख पर पट्टी रहती थी. खाना के समय हाथ खोल देते थे. खाना लेकर आने वाला व्यक्त हमेशा अपना मुंह गमछा से बांधे रहता था. रविवार की शाम छह बजे बताया गया कि आपको छोड़ना है. लोकेशन छुपाना है इसलिए नींद की गोली खा लें.

पानी में दवा घोल कर खिलायी. इंडिगो कार में बैठा कर मुङो मोकामा रेलवे स्टेशन से कुछ दूर पहले ही रात को साढ़े 12 बजे छोड़ दिया. मैं 15 मिनट में स्टेशन पहुंच गया. मोबाइल से घर फोन किया तो पता चला कि छोटा भाई दिलीप औरंगाबाद में रिश्तेदार के यहां हैं. दिलीप सूचना पाकर गाड़ी लेकर मोकामा स्टेशन पहुंचा और वहां से गाड़ी से सोमवार की सुबह आठ बजे अपने घर पहुंच गये. शुरू से अंत तक एक ही जगह रखा गया था. मैं अपहरण कर ले जाने व साथ रहने वाले किसी को नहीं पहचान पाया. मुङो क्यों अगवा किया गया यह भी नहीं मालूम. पुलिस के कारण छोड़ दिया होगा. पैसा लेने की बात तो नहीं है. अपहर्ताओं ने एक बार मोबाइल से पत्नी से बात करायी थी. बात कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई थी.

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