धनबाद: रेलकर्मियों को उनके जुझारू तेवर के लिये जाना जाता रहा है. 2007 के पहले तक डीआरएम के समक्ष दर्जनाधिक यूनियन विभिन्न सवालों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. हालांकि तब भी मुख्य रूप से दो ही यूनियन मेंस कांग्रेस और मेंस यूनियन को मान्यता प्राप्त थी. देश में लंबे समय तक कांग्रेस का राज होने के कारण मेंस कांग्रेस की ही चली. लेकिन तब भी गैर मान्यता प्राप्त यूनियनों का मनोबल ऊंचा रहता था और वे संघर्ष करती रहती थीं.
लेकिन 2007 से एकल यूनियन की प्रणाली शुरू हुई. कर्मचारियों के वोट से यूनियन चुनी जाने लगी. तब से धनबाद रेल मंडल में इस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का कब्जा है. इसके साथ ही बाकी यूनियनों की गतिविधियों में कमी आयी है.
भ्रष्टाचार का बोलाबाला
इस्ट सेंट्रल रेलवे जोन में चुनाव के आधार पर एक यूनियन को मान्यता मिलने के बाद अब कर्मचारियों के लिए संघर्ष नहीं होता. यूनियन के नेताओं ने इसे चरागाह बना दिया है. प्रबंधन से मिलकर जो चाहते हैं, वहीं करते हैं. अब तो भ्रष्टाचार का बोलबाला है. ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल चल रहा है.
विनय कुमार राय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय मजदूर रेल संघ
कर्मचारी संतुष्ट नहीं
इसीआर में सिर्फ एक ही यूनिनय मान्यता प्राप्त है. एनएफआइआर से संबद्ध यूनियन फॉर्म में नहीं रहने के बावजूद कर्मचारियों की समस्याओं को जागरूकता के साथ उठाने का काम व निदान करता है. वर्तमान में मान्यताप्राप्त यूनियन से कई कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं. नीतिगत मामलों का निपटारा उचित ढंग से नहीं हो रहा है. आम कर्मचारी अपनी समस्या को लेकर एनएफआइआर से संपर्क करें, उसका निदान कराया जायेगा.
पीएस चतुर्वेदी, जोनल सचिव एनएफआइआर और महासचिव, इसीआरएमसी
लाल झंडा के नेता रुपया लेकर काम नहीं करते
कर्मचारियों के वोट से लगातार दो बार से जीत रहा हूं. जिनके पास कर्मचारी नहीं हैं, वे नेता बन रहे हैं. कोई कुछ भी आरोप लगा सकता है. लेकिन फेडरेशन लगातार कर्मचारियों के लिए संघर्ष कर रहा है. विवेक देव राय कमेटी हो या रेल कर्मचारियों की मांगों को लेकर हड़ताल की बात हो, सभी स्तर पर काम किया जा रहा है. रेलवे के ग्रुप डी कर्मचारियों व कॉमर्शियल विभाग में पहली बार री स्ट्रक्चरिंग का काम किया है. लाल झंडा के नेता रुपया लेकर काम नहीं करते और न ही प्रबंधन के इशारे पर काम करते हैं. मजदूरों की लड़ाई के लिए हमारे फेडरेशन को जाना जाता है.
डीके पांडेय, जोनल कार्यकारी अध्यक्ष, इसीआरकेयू
उम्मीदों पर फिरा पानी
यूनियन के काम करने की स्थिति बदल गयी है. कर्मचारी हित के लिए आवाज व संघर्ष बीते दिनों की बात हो चुकी है. जोन में इस तरह का कोई काम नहीं हो रहा है. कर्मचारियों ने बड़ी उम्मीद के साथ एक यूनियन को चुनाव में विजयी बनाया था, लेकिन उम्मीद पर पानी फिर गया. छोटी-बड़ी कोई भी समस्या मंडल स्तर व जोन स्तर पर नहीं उठती है. धारदार लड़ाई भी नहीं हो रही है. अखिलेश प्रसाद गुप्ता, जोनल सहायक महासचिव, एआइ ओबीसी रेलवे इंप्लाइज एसो.
मजदूर हित के कार्य नहीं
एकल यूनियन को लेकर यूनियन व मजदूरों में खुशी थी. कर्मचारियों ने सोचा कि अब एक ही यूनियन उनकी समस्याओं को उठायेगी, लेकिन धनबाद मंडल या जोन में ऐसा नहीं हुआ. यूनियन के नेताओं ने मजदूर हित में एक भी कार्य नहीं किये. इसीआरकेयू के कुछ नेता ने सात सालों से रेलवे में अपनी सेवा तक नहीं दी और पगार ले रहे हैं. ये कैसे आम कर्मचारियों के मुद्दे को उठायेंगे.
बीआर िसंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इं़िडया गार्ड काउंसिल