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होर्डिग्स कंपनियों पर नहीं चलता निगम का जोर

धनबाद: चार साल से होर्डिग्स कंपनियां न तो निगम को शुल्क दे रही हैं और न ही चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण व लाइट का मेंटेनेंस कर रही है. नगरपालिका क्षेत्र में लगे होर्डिग्स का टर्म 31 मार्च 2015 को पूरा हो गया है. इसके बावजूद अभी तक होर्डिग्स को हटाया नहीं गया है. सब कुछ ठीक-ठाक […]

धनबाद: चार साल से होर्डिग्स कंपनियां न तो निगम को शुल्क दे रही हैं और न ही चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण व लाइट का मेंटेनेंस कर रही है. नगरपालिका क्षेत्र में लगे होर्डिग्स का टर्म 31 मार्च 2015 को पूरा हो गया है. इसके बावजूद अभी तक होर्डिग्स को हटाया नहीं गया है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अब नये सिरे से होर्डिग्स का टेंडर अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक होगा. 2003 से होर्डिग्स कंपनी सेलवेल व स्कोप का नगर निगम में सिक्का चल रहा है.

कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से एग्रीमेंट का नवीकरण होता रहा. यही नहीं टर्म पूरा होने के एक माह पहले ही एग्रीमेंट का नवीकरण करा लिया जाता था. वर्ष 2010 में बोर्ड गठन के बाद कंपनियों को पोल खुली और दोनों कंपनियों का एग्रीमेंट रद्द हुआ. बोर्ड के निर्णय के खिलाफ होर्डिग्स कंपनियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कुछ मामले अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं. इसके बाद से इन कंपनियों ने निगम को शुल्क देना बंद कर दिया, लेकिन होर्डिग्स नहीं हटाये.

तत्कालीन उपायुक्त के हस्तक्षेप से रुका था नवीकरण : तत्कालीन नगर आयुक्त एके बंका के कार्यकाल में होर्डिग्स कंपनियों के नवीकरण का प्रस्ताव पारित हो गया. इसी बीच तत्कालीन उपायुक्त प्रशांत कुमार ने इन कंपनियों की कुंडली मंगायी और उनके हस्ताक्षेप के बाद नवीकरण का मामला लटक गया. इधर फिर से नवीकरण को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है.
कहां-कहां लगे हैं नये होर्डिग्स : पीके राय, आइएसएम, डीआरएम चौक, रांगाटांड़, रणधीर वर्मा चौक, बैंक मोड़, पूजा टॉकीज, सिटी सेंटर के अलावा झरिया, कतरास, छाताटांड़ व सिंदरी आदि इलाकों में .
मेयर व डिप्टी मेयर की राय से होगा फैसला: सिद्धार्थ
डिप्टी नगर आयुक्त सिद्धार्थ शंकर चौधरी ने कहा कि होर्डिग्स कंपनियों पर निगम का जो पैसा बकाया है, उसे जमा करने का निर्देश दिया गया है. 31 मार्च को टर्म पूरा हो गया है. मेयर व डिप्टी मेयर से राय-मशविरा के बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा. अगर जरूरत पड़ी तो होर्डिग्स के लिए टेंडर निकाला जायेगा.
25 हजार से अधिक की राशि के लिए टेंडर जरूरी
पार्षद निर्मल मुखर्जी ने कहा कि 25 हजार से अधिक की राशि के लिए खुली निविदा होनी चाहिए. अगर फिर से दोनों कंपनियों को नवीकरण किया गया तो मामले को हाई कोर्ट में ले जायेंगे. पार्षदों को अंधेरे में रख कर नवीकरण का प्रस्ताव पारित करा लिया गया. निगम एक्ट में है कि जिस बोर्ड में प्रस्ताव पारित हुआ है और अगली बोर्ड की बैठक में संपुष्टि नहीं होती है तो प्रस्ताव लागू नहीं होगा.
निगम से स्कोप एडवरटाइजिंग कंपनी ने पांच एग्रीमेंट किया है. बिरसा मुंडा चौक का सौंदर्यीकरण व चौक-चौराहों के मेंटेनेंस का एग्रीमेंट 31 मार्च को खत्म हो गया है. इसके लिए 40 होल्डिंग अलग से लगाने की अनुमति मिली हुई है. नगर निगम पहल करे तो एग्रीमेंट का नवीकरण करायेंगे. निगम पर ही आगे का एग्रीमेंट निर्भर करता है. ऐसे कुछ एग्रीमेंट का टर्म 2016 तो कुछ 2017 में पूरा होगा.
दीपक सोनी, स्कोप एडवरटाइजिंग कंपनी

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