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कैंसर पीड़ित डॉ संजीव गोलाश के जज्बे को सलाम!

धनबाद: सेंट्रल अस्पताल के सजर्री विभाग के डॉ संजीव गोलाश ब्रेन कैंसर से पीड़ित हैं. लेकिन उनका हौसला बुलंद है. वह खुद कैंसर से तो लड़ ही रहे हैं, दूसरों को भी संघर्ष की प्रेरणा दे रहे हैं. हर दिन ओपीडी में सैकड़ों मरीजों को देखना, चिनिह्त करके ऑपरेशन करना, कैंसर के प्रति जागरूक करना […]

धनबाद: सेंट्रल अस्पताल के सजर्री विभाग के डॉ संजीव गोलाश ब्रेन कैंसर से पीड़ित हैं. लेकिन उनका हौसला बुलंद है. वह खुद कैंसर से तो लड़ ही रहे हैं, दूसरों को भी संघर्ष की प्रेरणा दे रहे हैं. हर दिन ओपीडी में सैकड़ों मरीजों को देखना, चिनिह्त करके ऑपरेशन करना, कैंसर के प्रति जागरूक करना ही डॉ गोलाश की दिनचर्या है. कई मरते लोगों को भी उन्होंने बचाया है.
एक्सीलेंस अवार्ड से दो बार सम्मानित : डॉ गोलाश को बीसीसीएल के सीएमडी ने चिकित्सकीय क्षेत्र में एक्सीलेंस अवार्ड से दो-दो बार सम्मानित किया. डॉ गोलाश ही वह शख्स है, जो अस्पताल में दूरबीन से प्रोटेस्ट का इलाज करते हैं. कई केस ऐसे उन्होंने सॉल्व किया, जिसे सीएमसी वेल्लोर तक ने मना कर दिया था.
कब हुआ था कैंसर : डॉ गोलाश ने बताया कि नवंबर 2009 में एक बार चक्कर आ गया था. इसके बाद जांच करायी गयी. जांच में हाइ ग्रेड ब्रेन कैंसर मिला. बायोस्पी, रेडियोलॉजी, कीमो करायी. दिसंबर 2009 में ही अमरी कोलकाता के डॉ आरएन भट्टाचार्या ने ऑपरेशन किया. इसके बाद लगा हालत सामान्य हो गयी. लेकिन 2013 में दोबारा अटैक हो गया. फिर सिर के दूसरे हिस्से में कैंसर मिला. एम्स दिल्ली से इलाज कराया गया. वहां गामा नाइफ थेरेपी ली गयी. डॉ गोलाश ने बताया कि अब साल में हर छह माह तक यह थेरेपी लेनी पड़ती है.
धनबाद में बढ़ रहे कैंसर के मरीज : स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो धनबाद में तेजी ये यह आंकड़ा बढ़ रहा है. जिले में लगभग दो हजार कैंसर के मरीज हैं. सबसे ज्यादा पान, गुटखा चबाने वाले लोग इसके शिकार हो रहे हैं. इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर, लंग्स कैंसर, बच्चेदानी के कैंसर भी बढ़ रहे हैं. एनसीडी सेल की टीम समय-समय पर इसका सर्वे करती हैं.
जाने डॉ गोलाश को
वर्ष 1959 में ग्वालियर में जन्में डॉ गोलाश फिलहाल सेंट्रल अस्पताल के सजर्री विभाग में सीएमओ हैं. उनकी पत्नी डॉ नम्रता गोलाश मेडिसिन विभाग में सेवा दे रही है. एक मात्र संतान बेटी कृति बेंगलुरु में इंजीनियर हैं. सेंट्रल अस्पताल में सजर्री के क्षेत्र में डॉ गोलाश को महारत हासिल है. डॉ गोलाश कैंसर के प्रति हजारों लोगों को जागरूक कर चुके हैं. ओपीडी में आने वाले कैंसर के मरीजों को भी इससे लड़ने व बचाव की जानकारी देते हैं. डॉ गोलाश बागवानी में भी समय बिताते हैं.
हिम्मत न छोड़े : डॉ गोलाश
डॉ गोलाश कहते है ‘जब बीमारी होती है, तो मन में कहीं न कहीं डर तो लगा रहता है, लेकिन एहतियात के लिए यह डर जरूरी है, लेकिन डर से घबरायें नही’. ‘हमारे पास कैंसर से पीड़ित जो लोग आते हैं, उन्हें हिम्मत के लिए अपनी बात कहता हूं, लोगों को यकीन नहीं होता, कहता हूं जो होना है होगा, लेकिन आज को जी भर के जी लूं’

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