जिस कारण लोग यत्र-तत्र कचरा फेंक देते हैं. मुहल्ले में पॉलीथिन उड़ते रहता है. तालाब में भी गंदगी रहती है. निगम की ओर से इसके जीर्णोद्धार के लिए रकम मिली, लेकिन वह नाकाफी रही. यहां सिर्फ उस राशि से लोगों के बैठने के लिए तथा एक बर्निग शेड ही बन पाया. तालाब की खुदाई नहीं हो पायी. जेसी मल्लिक रोड में एक डस्टबीन था. वहां भवन बनने लगा तो उसे वहां से फेंक दिया. यहां नाली की भी कोई व्यवस्था नहीं. गंदा पानी यत्र – तत्र बहता रहता है.
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निगम से तो अच्छी नगरपालिका थी
धनबाद: शहर के बीचो-बीच स्थित वार्ड नंबर 26 की स्थिति बद से बदतर है. यहां साफ-सफाई यदा-कदा ही होती है. लोग नगर निगम से शिकायत करते हैं, लेकिन कोई असर नहीं होता. हारकर आपस में ही चंदा कर सफाई कराते हैं. पार्षद भी कम ही नजर आते हैं. यहां डस्टबीन नहीं के बराबर है. जिस […]
धनबाद: शहर के बीचो-बीच स्थित वार्ड नंबर 26 की स्थिति बद से बदतर है. यहां साफ-सफाई यदा-कदा ही होती है. लोग नगर निगम से शिकायत करते हैं, लेकिन कोई असर नहीं होता. हारकर आपस में ही चंदा कर सफाई कराते हैं. पार्षद भी कम ही नजर आते हैं. यहां डस्टबीन नहीं के बराबर है.
बोले पार्षद
यहां बहुत खराब स्थिति थी. अब जाकर नगरपालिका जैसी स्थिति पर इसे लाया गया है. साफ-सफाई नहीं होने के पीछे कई कारण हैं. कई बार एनजीओ एवं दूसरी कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया गया लेकिन सब फेल हो गया. नगरपालिका के समय का जो संसाधन था , वहीं आज भी है. खोखन पोखर के लिए 10 लाख रुपये की मांग की थी, मिले सिर्फ दो लाख रुपये. इतनी राशि में तालाब के अंदर की मिट्टी भी नहीं निकाली जा सकती थी. और राशि की मांग की गयी है. हालांकि अपने स्तर से पहली बार अग्रसेन भवन से सिमलाडीह तक दो किमी सड़क के निर्माण के लिए टेंडर निकलवाये हैं, जल्द ही काम शुरू होगा. डस्टबीन आदि की भी व्यवस्था करनी है. बबलू धर्मशाला के नजदीक कलवर्ट का निर्माण करवाया. और भी काम करवाना है . व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से जो विकास काम होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया.
प्रियरंजन , पार्षद
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