धनबाद. अब ट्रेनें गार्ड साहब की मरजी से ही खुलेगी. क्यों न सिगनल हो गया हो, ड्राइवर सीटी बजा रहा हो लेकिन अंतिम निर्णय पीछे बैठे गार्ड का ही होगा. वह जब संतुष्ट होकर झंडी दिखायेंगे, तभी ट्रेन चलेगी. ट्रेन के पायदान, छत, लगेज बोगी व इंजन पर यात्री रहने की स्थिति में ट्रेन नहीं खुलेगी. क्योंकि इस वजह से दुर्घटनाएं होती है और बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है. इस कारण गार्ड को अतिरिक्त जिम्मेवारी दी गयी है. जानकारी के अनुसार बोर्ड के जीआर नंबर 1976 में कई बदलाव किये गये हैं. इसमें खास निर्देश दिया गया है कि गार्ड पूरी ट्रेन की निगरानी रखेंगे. गार्ड यह देख लेंगे की ट्रेन पर प्रतिबंधित स्थान पर कोई यात्री तो नहीं बैठा व खड़ा है. यदि ऐसे होगा तो वह ट्रेन को रोके रखेंगे. प्रतिवर्ष हजारों की होती है मौतरेलवे बोर्ड ने अपने पत्र के माध्यम से बताया है कि प्रतिवर्ष भारतीय रेल में सफर करने वाले 15 से 18 हजार लोगों की मौत छत, पायदान, रेल इंजन व पार्सल बोगी में चढ़ने उतरने के क्रम में हो जाती है. नियम के लागू होने पर गार्ड की इस पर पैनी नजर रहेगी. जरूरत पड़ने पर गार्ड तुरंत जीआरपी व आरपीएफ की मदद लेंगे. दोषियों को दंडित किया जायेगा.
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गार्ड होंगे संतुष्ट, तभी खुलेगी ट्रेन
धनबाद. अब ट्रेनें गार्ड साहब की मरजी से ही खुलेगी. क्यों न सिगनल हो गया हो, ड्राइवर सीटी बजा रहा हो लेकिन अंतिम निर्णय पीछे बैठे गार्ड का ही होगा. वह जब संतुष्ट होकर झंडी दिखायेंगे, तभी ट्रेन चलेगी. ट्रेन के पायदान, छत, लगेज बोगी व इंजन पर यात्री रहने की स्थिति में ट्रेन नहीं […]
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