धनबाद: कोयला व्यवसायी प्रमोद सिंह हत्याकांड की सुनवाई गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम विजय कुमार शर्मा की अदालत में हुई. अभियोजन की ओर से गवाह डॉ. डीडी मिश्र की हाजिरी दर्ज करायी गयी. लेकिन पूर्व गवाह पप्पू सिंह का प्रतिपरीक्षण बचाव पक्ष द्वारा नहीं किये जाने के कारण डॉ मिश्र को बगैर गवाही दिये वापस लौटना पड़ा.
सुनवाई के वक्त आरोपी सरायढेला थाने के पूर्व थानेदार मदन प्रसाद खरवार, अरशद खान व अयूब खान हाजिर थे. जबकि संतोष सिंह व रणविजय सिंह गैरहाजिर थे. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता सीएस प्रसाद ने दंप्रसं की धारा 317 का आवेदन दायर किया. एक अन्य आरोपी हीरा खान के अधिवक्ता ने एक सूचनार्थ आवेदन दाखिल कर अदालत को बताया कि हीरा खान दूसरे आपराधिक मामले में भागलपुर जेल में बंद है.
साथ ही एक अन्य आवेदन देकर गवाह पप्पू सिंह को प्रतिपरीक्षण के लिये बुलाने का आग्रह किया. पिछली तिथि को पप्पू सिंह ने अपनी गवाही में अदालत को बताया था कि प्रमोद सिंह को हीरा खान ने गोली मारी थी.उसे मैं पहचानता हूं. अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 29 जनवरी 15 मुकर्रर कर दी. विदित हो कि तीन अक्तूबर 2003 को अपराधियों ने प्रमोद सिंह की हत्या उनके बी एम अग्रवाल कॉलोनी धनसार स्थित आवास के समीप गोली मार कर दी थी. घटना के बाद धनसार पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. बाद में इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गयी. सीबीआइ इंस्पेक्टर मुकेश शर्मा को अनुसंधान का भार सौंपा गया. उन्होंने आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. सीबीआइ की ओर से इस मामले की पैरवी में पीपी राजन दहिया दिल्ली से आये थे. यह मामला एसटी केस नबंर 21/08 से संबंधित है.
रैनबो चेयरमैन की जमानत अर्जी हाइकोर्ट में खारिज
साजिश के तहत धोखाधड़ी कर लाखों रुपये का गबन करने व बगैर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनुमति के को-ऑपरेटिव चलाने के मामले में जेल में बंद रैनबो चेयरमैन धीरेन रवानी की ओर से दायर जमानत याचिका को गुरुवार को झारखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रशांत कुमार ने उभय पक्षों की बहस सुनने के बाद खारिज कर दिया. बैक मोड़ थाना के इंस्पेक्टर अलीमुद्दीन ने 23 अगस्त 2014 को आरोपी धीरेन रवानी के खिलाफ धनबाद (बैंक मोड़) थाना कांड संख्या-850/14 भादवि की धारा 420,120 बी व 4,5,6 चिट्स एंड मनी एक्ट के तहत कांड दर्ज किया था. पुलिस ने आरोपी को 24 अगस्त 14 को उसके मिठू रोड( धनबाद) स्थित आवास से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. केस का अनुसंधानकर्ता बैंक मोड़ थानेदार अशोक कुमार को बनाया गया.