धनबाद में 6.30 लाख किशोर-किशोरियां
निर्णय क्षमता नहीं होने से आत्महत्या की सबसे अधिक है प्रवृत्ति
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम बदल रहा जिंदगी
धनबाद : इंटर में मनमाफिक नंबर नहीं आने पर हीरापुर की ममता कुमारी (बदला हुआ नाम) आत्महत्या की कोशिश करने लगी. परिजन ने किसी तरह किशोरी को इससे रोका और सदर प्रांगण स्थित युवा मैत्री केंद्र में लेकर आये. यहां केंद्र में काउंसेलिंग से ममता पूरी तरह से डिप्रेशन से ऊबर गयी. फिर से परीक्षा की तैयारी में लग गयी है. असल में यह ममता की उम्र का प्रभाव था. केंद्र की काउंसेलर रानी प्रसाद का कहना है कि ममता एल्डोनेस ग्रुप है. 10 से लेकर 19 वर्ष के उम्र के किशोर-किशोरियां इस ग्रुप में आते हैं.
इस उम्र में मानसिक, शारीरिक परिवर्तन एवं विकास होता है. किशोर-किशोरियों की यह अवस्था काफी संवेदनशील मानी जाती है. इस अवस्था में होने वाली परिवर्तन एवं समस्याओं का समाधान नहीं कर पाने के कारण किशोर-किशोरियां गलत दिशा में चले जाते हैं. दरअसल, ममता के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था, लेकिन काउंसेलिंग के बाद वह सही दिशा की ओर बढ़ गयी. राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों के लिए कई सेवाएं दी जा रही हैं.
धनबाद की कुल आबादी में 22 प्रतिशत किशोर-किशोरियां : रानी ने बताया कि धनबाद में लगभग 29 लाख की आबादी का लगभग 22 प्रतिशत जनसंख्या इसी ग्रुप से है. इस तरह से इनकी जनसंख्या 6.30 लाख के आसपास है. ऐसे में अमूमन हर घर से एक से दो बच्चे इस ग्रुप से आते हैं. ऐसे अभिभावकों की भी भूमिका काफी अहम होती है. ऐसे बच्चों को डांट-डपट से इतर प्यार से उनकी भावनाओं व जिज्ञासा को शांत करना है.
15-19 उम्र के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण : ऐसे किशोर-किशोरियों के बीच प्यार को लेकर सबसे ज्यादा मामले आते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है. काउंसेलर रानी बताती हैं कि यह आकर्षण होता है. इसे पीयर प्रेशर कहते हैं. पीयर प्रेशर का मतलब होता है कि किशोर-किशोरियां अपने उम्र के ग्रुप में सुपर बनना चाहते हैं. वह दिखाना चाहते हैं कि वह किसी के साथ प्यार करते हैं.