धनबाद : पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के मामले की सुनवाई मंगलवार को जिला व सत्र न्यायाधीश आलोक कुमार दुबे की अदालत में हुई. बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल में एकलव्य सिंह की गवाही शुरू हुई. पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में बंद भाजपा के झरिया विधायक संजीव सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, डबलू मिश्रा, धनजी, संजय सिंह, विनोद सिंह की पेशी करायी.
वहीं जेल में बंद अमन सिंह, सागर उर्फ शिबू, चंदन सिंह उर्फ रोहित सिंह, सोनू उर्फ कुर्बान अली, पंकज सिंह की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करायी गयी. आरोपितों की मौजूदगी में एकलव्य सिंह का प्रतिपरीक्षण शुरू हुआ. संजीव सिंह की ओर से झारखंड हाइकोर्ट के सीनियर एडवोकेट बीएम त्रिपाठी ने एकलव्य का प्रति परीक्षण किया. अधिवक्ता मो. जावेद उनको सहयोग कर रहे थे.
निखिलेश सिंह ने दी गवाही : अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक ओमप्रकाश तिवारी ने निखिलेश सिंह का मुख्य परीक्षण कराया. जबकि प्रति परीक्षण संजीव सिंह के एडवोकेट श्री त्रिपाठी ने किया जो पूरा नहीं हो सका. अब इस मामले में सुनवाई 30 जनवरी को होगी.
एकलव्य सिंह ने क्रॉस एग्जामिनेशन में क्या कहा
मुझे याद नहीं है कि मैं छह महीने के लिए जिला बदर कर दिया गया था. मैंने वोट का आंकड़ा नहीं देखा था. मैं नहीं कह सकता हूं कि संजीव सिंह कितने मतों से चुनाव जीते थे. लेकिन चुनाव हारने के बाद भी वो जनता में बहुत लोकप्रिय थे. मैं नहीं कह सकता हूं कि संजीव सिंह 34000 वोटों से चुनाव जीते थे. मैं नहीं जानता हूं कि स्व नीरज सिंह पर उनकी मृत्यु के पहले सात (7) संगीन अापराधिक मुकदमें दर्ज थे. गवाह स्वत: कहते हैं कि नीरज सिंह जनता में लोकप्रिय नेता थे.
मटकुरिया में एक मौके पर संजीव सिंह के सामने ही लोगों ने पुलिस से झड़प की थी, लेकिन केस नीरज सिंह पर बना दिया गया था. मुटकुरिया वाली घटना की तिथि और साल याद नहीं है. यह सही है कि मेरे ऊपर 14 (चौदह) अापराधिक मामले किये गये थे. जो बेबुनियाद हैं. उनमे से कई केस में मैं बरी हो चुका हूं.
मुझे याद नहीं है कि मैं छह महीना के लिए धनबाद जिला से जिला बदर कर दिया गया था. कहना गलत है कि जब मैं झरिया कांड संख्या 354/10 को दिनांक 2.11.2010 में धनबाद जेल में था तो मेरे आवेदन पर मुझे माननीय न्यायालय द्वारा नशा उन्मूलन केंद्र रिनपास रांची भेजा गया था. मेरे बड़े भाई स्व. मुकेश सिंह की मृत्यु के बाद मुझे अनिंद्रा की शिकायत थी तो एक मामले में जब मैं जेल में था तो जेल सुपरिटेंडेट को मैंने इसकी सूचना दी तो मेरा इलाज अनिंद्रा की शिकायत को लेकर हुआ था. उसी समय मेरे पिताजी का भी निधन हुआ था.
मेरा बयान पुलिस ने रघुकुल में जाकर लिया था. मैने बयान दिया था कि जब मैं सेंट्रल अस्पताल धनबाद घटना के बाद गया तो आदित्य राज के दाहिने हाथ की ओर मेरा ध्यान गया. उसके हाथ में गोली लगी हुई थी तथा मुंह पर शीशे के टुकड़े लगे हुए थे. वो भी पूरा जख्मी था. पुलिस ने ये बात मेरे बयान में लिखा कि नहीं मैं नहीं कह सकता हूं. कि मैने बयान दिया था कि आदित्य राज गोली लगने के कारण गंभीर रूप से जख्मी हो गया था.
मैंने बयान दिया था कि आदित्य राज ने अन्य अभियुक्तों को देखकर पहचानने का दावा किया था. मैने ऐसा बयान नहीं दिया था कि आदित्य राज ने अन्य अभियुक्तों को नहीं पहचानने का बात कही थी. मैंने बयान दिया था कि थोड़ी देर बाद मुझे यहीं पर सूचना मिली कि पल्टू महतो, मुन्ना तिवारी, अशोक यादव की भी मृत्यु हो गयी थी.
मैं अभी 9431133333 उपयोग करता हूं. मेरे पास यही एक मोबाइल है. 8102977777 और 9999200045 नंबर मेरे नाम से निर्गत है या नहीं मुझे याद नहीं है.
कहना गलत है कि मैंने और मेरे भाई स्व. मुकेश सिंह न्यायालय कक्ष में रिवाल्वर निकाल लिये थे. और मारपीट किये थे जिसके लिए जी आर केस नं. 2610/08 हमलोग के विरुद्ध दर्ज किया गया था. गवाह स्वत: कहते हैं कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी.
मुझे जानकारी नहीं है कि रघुकुल और सिंह मैंशन के दो परिवारों के बीच संपत्ति के विवाद को लेकर कोई मुकदमा न्यायालय में लंबित है या नहीं. गवाह स्वत: कहते हैं कि इस संबंध में जानकारी स्व नीरज भैया को होगी तथा वर्तमान में अभिषेक भैया को होगी.
मैने इस घटना से संबंधित घटना के बाद स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित किसी भी समाचार का खंडन नहीं किया था.
कहना गलत है कि मैंने न्यायालय में घटना से संबंधित झूठी गवाही दी है.
डबलू मिश्रा की ओर से
हमारे घर में नेहरू कम्पलेक्स जाने में गाड़ी से 5-7 मिनट लगता है.
पंकज सिंह और विनोद सिंह की ओर से
हमारे पिताजी पांच भाई थे. अभी तीन भाई जीवित हैं. मुझे जानकारी नहीं है कि मेरे पिताजी और उनके भाइयो के बीच कोई बंटवारा हुआ था या नहीं. नीरज भैया का बोलना था कि घर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए. घर में ही समझ लेंगे.
जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह एवं धनजी सिंह की ओर से
मेरी ठुड्डी के नीचे सेल्फ से बुक निकालते समय अलमीरा के रॉड से चोट लग गयी थी इसका इलाज सेंट्रल अस्पताल धनबाद में हुआ था. इसके अलावा मिशन अस्पताल दुर्गापुर में भी इलाज करवाये थे. मिशन अस्पताल दुर्गापुर में मेरे ठुड्डी के पास गोली नहीं निकाली गयी थी.
जैनेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह से पूर्व में मेरी कोई दुश्मनी थी या नहीं मुझे याद नहीं है . जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह शुरू से ही गड़बड़ एवं अापराधिक चरित्र का आदमी है.
यह कहना गलत है कि मैंने अपने दिमाग से अभियुक्त के विरुद्ध एक खाका तैयार करके झूठी गवाही दी है. कहना गलत है कि हमलोग जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह का नाम इस केस में इसलिए डाल दिया कि जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह जीआर केस नंबर 2610/08 का गवाह था.