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बीसीसीएल के गैर जिम्मेदाराना रवैया से विकराल हुई वायु प्रदूषण की समस्या, कोयलांचल की जनता को बेमौत मारने का इंतजाम
विजय कश्यप, झरिया : तथ्य एक : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के चार जिलों धनबाद, रामगढ़, चाईबासा और सरायकेला-खरसांवा में वायु प्रदूषण को लेकर स्थित काफी गंभीर है. इन जिलों में प्रदूषण का इंडेक्स 70 डेसीबल पार कर चुका है. इस वजह से स्थिति गंभीर हो गयी है. धनबाद का […]
विजय कश्यप, झरिया : तथ्य एक : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के चार जिलों धनबाद, रामगढ़, चाईबासा और सरायकेला-खरसांवा में वायु प्रदूषण को लेकर स्थित काफी गंभीर है. इन जिलों में प्रदूषण का इंडेक्स 70 डेसीबल पार कर चुका है. इस वजह से स्थिति गंभीर हो गयी है. धनबाद का इंडेक्स 78.63 तक पहुंच गया है.
तथ्य दो : धनबाद समेत झारखंड प्रदेश के विभिन्न शहरों में बेंजिन, सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है. सबसे भयावह स्थिति कोयलांचल की है. कोयलांचल में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा 2000 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक हो गयी है.
तथ्य तीन : कोयलांचल में अमोनिया की मात्रा 276 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी है. झरिया कोयलांचल में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा 2730 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी है. ओजोन की मात्रा 6.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर आंकी गयी है. यदि ओजोन की मात्रा में वृद्धि हुई, तो ऑक्सीजन में कमी हो जायेगी.
तथ्य चार : नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 70 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर पायी गयी है, जबकि इसका मानक 80 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. कोयलांचल में पर्टिकुलेट मैटर(धूलकण सहित अन्य धातू) की मात्रा खतरे के निशान से 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर अधिक है. पार्टिकुलेट मैटर 110 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि इसका मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है.
तथ्य पांच : इस वर्ष अप्रैल महीने में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री महेश शर्मा ने जानकारी दी कि देश में 94 ऐसे शहर हैं, जहां हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. इन 94 शहरों में झारखंड राज्य का एकमात्र जिला धनबाद भी शामिल है.
ऐसे तथ्यों की सूची लंबी है, जिससे यह साबित होता है कि झरिया कोयलांचल समेत धनबाद जिले के विभिन्न कोलियरी इलाकों में बीसीसीएल के गैर जिम्मेदाराना रवैया से वायु प्रदूषण की समस्या विकराल होती गयी है.
झरिया कोयलांचल में सांस लेना जीवन को कम करने की तरह हो चुका है, क्योंकि प्रदूषण के कारण यहां की हवा में जहरीले तत्व घुले हुए हैं. राज्य प्रदूषण नियंत्रण ने जून 2013 में झरिया में 304 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर एसपीएम पाया था. यह खतरे के निशान से काफी ऊपर है. विशेषज्ञों की माने, तो धनबाद में कार्बन डाईऑक्साइड लेबल 0.3 प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत हो गया है. विशेषकर कोलियरी क्षेत्रों में डस्ट पार्टिकल की समस्या गंभीर है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.
बीसीसीएल ने कई कोलियरी क्षेत्रों में घनी आबादी के बीच कांटा घर, कोल डंप, ओबी डंप बना रखा है. इससे उड़ने वाले धूलकण से लोग प्रदूषित होकर गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसके अलावा सभी नियम-कानून को ताक पर रखकर होनेवाली कोयला ट्रांसपोर्टिंग भी वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है. झरिया में दिन भर उड़ते धूल-गर्द से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सड़कें धूल से सनी रहती हैं. इस पर होनेवाली कोयला ढुलाई से उड़नेवाले धूल-गर्द के गुब्बार दिन में भी अंधेरा का एहसास करा रहे हैं. बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा ट्रांसपोर्टिंग मार्ग पर किया जा रहा पानी का छिड़काव भी कारगर नहीं है.
बीमारियों की राजधानी : हालात यही रहे, तो आनेवाले कुछ वर्षों में झरिया कोयलांचल बीमारियों की राजधानी बन जायेगा. वायु प्रदूषण की साल-दर-साल गंभीर होती गयी समस्या झरिया समेत धनबाद जिले के कोयला क्षेत्रों में कई बीमारियों और अकाल मौत का कारण बनी हुई है. झरिया में वायु प्रदूषण अंतर्राष्ट्रीय मानक से काफी अधिक होने के कारण बच्चों पर काफी खराब असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण झरिया के बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए खतरनाक है, क्योंकि वे एक ऐसी हवा में सांस लेते हैं, जो उनके सेहत के लिए हानिकारक है. यह बच्चों की रोगों से लड़ने की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है.
झरिया कोयलांचल में धूल-कणों के स्तर (पीएम) 2.5 पर होने के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक सांस के रोग, श्वास लेने में तकलीफ, श्वास लेते समय दर्द होना व कई मामलों में आकस्मित मौत के मामले बढ़े हैं. कारण विषैले तत्व फेफड़ों में जमा हो जाते हैं. विशेषज्ञों की माने, तो कार्बनमोनोक्साइड से खून में ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता कम होती है, जिससे हर्ट डिसॉर्डर का खतरा बढ़ जाता है. सल्फरडाई ऑक्साइड से श्वसन तंत्र प्रभावित होता है. ब्रांकियल समस्याएं, नांक बंद होना, कफ की समस्या बढ़ जाती है. नेत्र दोष भी होता है. हाइड्रोजन सल्फाइड से न्यूरो-टॉक्सिक, लंग्स एवं थ्रोड (गला) प्रभावित होता है. कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.
भौंरा में घनी आबादी के बीच है कांटा घर
भौंरा में घनी आबादी के बीच बीसीसीएल प्रबंधन ने कांटा घर खोल रखा है. इससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. कांटा घर के कारण दिन-रात कोयला ट्रांसपोर्टिंग में लगे सैकड़ों भारी वाहनों का मुख्य सड़क पर आना-जाना लगा रहता है. वहीं मुख्य सड़क के किनारे कांटा घर होने से वाहन चालकों द्वारा सड़क पर जैसे-तैसे वाहन खड़े कर दिये जाते हैं. इससे कांटा घर के दोनों छोर पर हाइवा व ट्रकों की लंबी लाइन लगी रहती है. सड़क पर वाहनों के खड़े रहने से आये दिन जाम की स्थिति बनी रहती है. कांटा घर के समीप भौंरा क्षेत्रीय कार्यालय, भौंरा कोलियरी कार्यालय, भौंरा ओपी, सीआइएसएफ कैंप, युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया व दुकानें हैं. प्रदूषण से त्रस्त स्थानीय लोग कांटा घर को अन्यत्र स्थानांतरित करने को लेकर आंदोलन करते रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली. भौंरा व सुदामडीह हो, भागा हो, सिजुआ हो या लोयाबाद, बस्ताकोला हो या फिर निरसा लंबे समय से वायु प्रदूषण को लेकर जनांदोलन होते रहे हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी व संस्थान शक्ति प्रयोग कर जनता की आवाज दबा देते रहे हैं. भौंरा की जनता लंबे समय से मुख्य सड़क से भारी वाहनों की आवाजाही से उड़ते धूल से और कांटा घर के कारण प्रदूषण से परेशान है.
क्या धरातल पर उतरेगा मुख्यमंत्री का आदेश?
य ह कौन जानता था कि खनिज-संपदा से संपन्नता ही झारखंड के वाशिंदों के लिए एक दिन काल बन जायेगी? दुर्भाग्यपूर्ण हालात यह कि खनिज-संपदा झारखंड के लिए वरदान कम अभिशाप ज्यादा बन चुकी है. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, दुमका, रामगढ़ समेत विभिन्न जिलों में तांबा, अभ्रक, कोयला, सोना, आयरन ओर, यूरेनियम का भारी भंडार है. इन क्षेत्रों में वैध व अवैध दोनों तरीकों से खनिज उत्खनन का काम भी चल रहा है. खनिजों के अवैध कारोबार से नेता, अधिकारी, माफिया अरबपति-खरबपति बनते गये हैं, लेकिन आम जनता विकास की जगह विनाश का दंश झेल रही है.
शुद्ध पानी से लेकर शुद्ध हवा तक दुश्वार हो गया है. वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ी को भी बीमारू बनाने का स्क्रिप्ट तैयार है. धनबाद कोयलांचल के कई इलाकों में भी प्रदूषण को लेकर भयावह स्थिति बनी हुई है. सांसों में शुद्ध हवा लेना सपना बनता जा रहा है. कई क्षेत्रों में महज कुछ पैसों के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर बीसीसीएल के पूर्वी झरिया क्षेत्र के भौंरा स्थित कांटा घर. भौंरा में घनी आबादी के बीच कांटा घर बना हुआ है. इसके खिलाफ लगातार आंदोलन होते रहे हैं. भौंरा स्थित कांटा घर को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है, मगर चवन्नी का चक्कर है.
मुख्यमंत्री की गंभीरता
पिछले दिनों एक समीक्षा मीटिंग में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि ‘झारखंड में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. जनता को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने का उपाय ढूंढना होगा. वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. आबादी वाले क्षेत्रों की सड़कों पर भारी वाहनों की आबाजाही हो रही है, तो उस पर रोक लगाने और बाईपास रास्ता तैयार करें.’ मीटिंग के बाद पथ निर्माण सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्तों को पत्र द्वारा निर्देश दिया है कि यदि आपके क्षेत्र में खनिज-संपदा से लदे भारी वाहनों की आवाजाही हो रही है, तो उसे रोकें और विकल्प में बाईपास रोड का प्रस्ताव भेजें.
उपायुक्तों को यह भी निर्देश दिये गये हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के पथ निर्माण विभाग एवं भू-अर्जन विभाग के साथ बैठक करें. बाईपास रोड निर्माण का प्रस्ताव तैयार करें. प्रस्ताव के साथ फिजिबिलिटी भी दें. साथ ही भू-अर्जन विभाग से संबंधित प्रतिवेदन भी भेजें, यदि भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता हो तो. हालांकि इस आदेश में यह भी जिक्र है कि बाईपास रोड बनाने के लिए टाटा, सेल, बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल, हिंडाल्को जैसे संस्थान द्वारा परिवहन के लिए लगाये गये भारी वाहनों के चलाने के कारण यदि प्रदूषण बढ़ रहा है, तो उन संस्थानों को भी जनकल्याण के लिए बाईपास रोड का निर्माण अपनी निधि से कराने के लिए कार्रवाई करें. सचिव ने यह भी कहा है कि गंभीरता के साथ प्रस्ताव जल्द भेजें.
इस आदेश से स्पष्ट है कि सरकार गंभीर है, मगर अधिकारी कितना गंभीर हैं, यह तो आदेश के क्रियान्वयन से पता चलेगा. पथ निर्माण सचिव का आदेश कड़ाई से लागू होने से प्रदूषण फैलानेवाले संस्थानों पर गाज गिरेगी और शायद विकल्प निकलेगा. जनता को मुक्ति मिलेगी. देखना है आदेश का अनुपालन होता है या फिर खानापूर्ति होती है?
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