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पानी और बिजली संकट भाजपा को पड़ सकता है भारी, बंद डीसी रेल लाइन का भी भूत नहीं छोड़ रहा पीछा

धनबाद : कोयलांचल में भाजपा को पानी-बिजली संकट भारी पड़ सकता है. साथ ही धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेल लाइन बंद करने का मसला भी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. इन मुद्दों के कारण यहां पार्टी बैकफुट पर है.धनबाद में पानी-बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है. पिछले दो वर्षों से धनबाद के […]

धनबाद : कोयलांचल में भाजपा को पानी-बिजली संकट भारी पड़ सकता है. साथ ही धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेल लाइन बंद करने का मसला भी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. इन मुद्दों के कारण यहां पार्टी बैकफुट पर है.धनबाद में पानी-बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है. पिछले दो वर्षों से धनबाद के शहरी क्षेत्र में भी नियमित रूप से लोगों को दोनों टाइम पानी नहीं मिल पा रहा है.
त्योहारों के अवसर पर भी हर क्षेत्र में जलापूर्ति नहीं हो पा रही है. इसके लिए सरकारी महकमा के पास कई बहाने हैं. यहां पानी देने की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता, नगर निगम तथा जमाडा के पास है. इन विभागों में समन्वय का घोर अभाव रहता है. सभी विभाग के अधिकारी एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी करने में लगे रहते हैं. यही हाल बिजली का है. औद्योगिक नगरी होने के बावजूद हर दिन 10 से 12 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो रही है. यहां भी डीवीसी और जेवीएनएल में सिर्फ दोषारोपण का खेल चल रहा है.
विधि-व्यवस्था भी चरमरायी : धनबाद में पिछले कुछ वर्षों में विधि-व्यवस्था भी चरमरायी हुई है. कई चर्चित हत्याएं हुई. आये दिन लूट-डकैती की घटनाएं होती रहती है. रघुवर सरकार ने यहां अपराध नियंत्रण के लिए तीन पुलिस अधीक्षकों का पद सृजित किया. उम्मीद थी कि अपराधियों पर खौफ बढ़ेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
रेल के मुद्दे पर सबसे ज्यादा किरकिरी : भाजपा को सबसे ज्यादा यहां रेलबंदी को लेकर परेशानी हो रही है. धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन, जिसे जून 2017 में बंद कर दिया गया, के कारण धनबाद से खुलने व गुजरने वाली 26 जोड़ी ट्रेनें बंद हो गयी. देश के कई कोने से धनबाद का रेल संपर्क कट गया. इसके खिलाफ यहां के लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं. कतरास स्टेशन के बाहर तो पिछले 14 माह से लगातार धरना चल रहा है. साथ ही हावड़ा-नयी दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस भी छिना गया. कई महत्वपूर्ण ट्रेनों में धनबाद का कोटा कम हो गया.
क्यों संकट में है भाजपा : कोयलांचल के दोनों संसदीय सीट धनबाद एवं गिरिडीह लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. धनबाद जिला के छह में से पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा एवं सहयोगी दल आजसू का कब्जा है. मेयर भी भाजपा के ही हैं. इस कारण भाजपा नेतृत्व परेशान है. कुछ माह बाद देश में आम चुनाव होना है. अगले वर्ष ही झारखंड विधानसभा का भी चुनाव होना है. इसलिए पार्टी नेता चाहते हैं कि अगले चुनाव से पहले इन मुद्दों पर कोई ठोस पहल हो. कोई बड़ी घोषणा हो जाये.

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