इसके बाद 4 जनवरी 2017 को श्रम मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर देश भर के सभी द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय कमेटियों से इंटक को बाहर कर दिया. इस आदेश के आलोक में कोल मंत्रालय ने इंटक को कोल इंडिया के औद्योगिक संबंध से ही बाहर कर दिया. दसवां कोयला वेतन समझौता पहला ऐसा वेतन समझौता है जो बगैर इंटक के संपन्न हुआ है.
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दिल्ली हाइकोर्ट में इंटक मामले की सुनवाई आज
धनबाद: इंटक विवाद पर मंगलवार को दिल्ली हाइकोर्ट के जज विभु बाखरू की अदालत में सुनवाई होगी. कोयलांचल की निगाहें इस मामले पर टिकी है. इस सुनवाई को लेकर इंटक के तीनों गुटों राजेंद्र सिंह, एस क्यू जामा, अशोक सिंह (रेड्डी गुट), चन्द्रशेखर दुबे, एनजी अरुण, आरएन चौबे, विकास सिंह (ददई गुट) और केके तिवारी, […]
धनबाद: इंटक विवाद पर मंगलवार को दिल्ली हाइकोर्ट के जज विभु बाखरू की अदालत में सुनवाई होगी. कोयलांचल की निगाहें इस मामले पर टिकी है. इस सुनवाई को लेकर इंटक के तीनों गुटों राजेंद्र सिंह, एस क्यू जामा, अशोक सिंह (रेड्डी गुट), चन्द्रशेखर दुबे, एनजी अरुण, आरएन चौबे, विकास सिंह (ददई गुट) और केके तिवारी, आरएन उपाध्याय (महाबल गुट) दिल्ली पहुंच चुके हैं.
एक साल से चल रहा है मामला : दसवें जेबीसीसीआइ के गठन को लेकर इंटक रेड्डी गुट को प्रतिनिधित्व दिये जाने के खिलाफ इंटक के ददई गुट ने 14 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. 16 सितंबर 2016 को सुनवाई के बाद अदालत ने जेबीसीसीआइ में इंटक के प्रतिनिधित्व पर ही रोक लगा दी.
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