उपेक्षा . जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मोहनपुर के तीन ग्रेन गोला
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जर्जर भवन में खो गयी किसानों की खुशहाली
उपेक्षा . जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मोहनपुर के तीन ग्रेन गोला मोहनपुर : गरीब किसानों की उन्नति व कृषि कार्य में आर्थिक सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से प्रखंडों में बनाया गया ग्रेन गोला आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. सरकार किसानों की सुविधा के लिए नयी-नयी योजनाएं ला रही है, लेकिन पुरानी योजनाओं को अपने हालत पर […]
मोहनपुर : गरीब किसानों की उन्नति व कृषि कार्य में आर्थिक सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से प्रखंडों में बनाया गया ग्रेन गोला आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. सरकार किसानों की सुविधा के लिए नयी-नयी योजनाएं ला रही है, लेकिन पुरानी योजनाओं को अपने हालत पर छोड़ दिया गया है. मोहनपुर प्रखंड में करीब 50 वर्ष पूर्व किसानों के लिए बनाये गये तीन ग्रेन गोला की बदहाली भी यही बयां कर रही है. इससे गरीब किसानों को ग्रेन गोला का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
लाखों की लागत से बना था ग्रेन गोला : मोहनपुर प्रखंड में मोहनपुर ग्रेन गोला, फतेहपुर ग्रेन गोला व घाेरमारा ग्रेन गोला है. सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर बड़े-बड़े कमरों को बनाया गया था. को-ऑपरेटिव बैंक व कल्याण विभाग से ग्रेन गोला का निर्माण किया गया था. ग्रेन गोला से उस समय अपनी मरजी के अनुसार किसान लेन-देन करते थे. आज ग्रेन गोल के भवन खंडहर में बदल गये हैं.
अनाज गिरवी रखकर किसान लेते थे ऋण : किसानों की आर्थिक मदद के लिए ग्रेन गोला का निर्माण किया गया था. जब किसानों को खेती के अलावा अन्य जरूरतमंद कार्यों में आर्थिक परेशानी होती थी तो किसान ग्रेन गोला में अपना अनाज गिरवी रखकर ऋण लेते थे. इससे किसानों को काफी मदद मिलती थी. ग्रेन गोला में लाभ लेने के लिए किसानों को पहले सदस्य बनना पड़ता था. उस समय किसानों को कम ब्याज पर ग्रेन गोला से अनाज (बिचड़ा) दिया जाता था. इस बिचड़ा से किसान खेती कर ब्याज सहित अनाज की कीमत अदा करते थे.
रखरखाव के अभाव में भवन हो गये जर्जर
विभाग की उदासीनता के कारण मोहनपुर प्रखंड के तीनों ग्रेन गोला अब जर्जर हो चुके हैं. मोहनपुर फोरेस्टर कार्यालय के समीप, फतेहपुर व घोरमारा में बनाया गया ग्रेन गाेला भवन रखरखाव के अभाव में ढहने लगा है. ग्रेन गोला भूतबंगला में तब्दील हो चुका है. किसानों का कहना है कि अगर फिर से ग्रेन गोला चालू हो जाये तो किसानों को खेती में आर्थिक सहयोग मिलेगा. जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक पदाधिकारी ग्रेन गोला के संरक्षण के प्रति उदासीन बने हुए हैं.
क्या कहते हैं किसान
ग्रेन गोला बंद होने से सबसे अधिक क्षति निचले वर्ग के किसानों को हुई. ग्रेन गोला रहने से किसानों को महाजनों के चुंगल में नहीं फंसना पड़ता था. आज महाजन के पास अधिक ब्याज पर पैसा लेकर खेती करना पड़ता है.
– मनोज कुमार यादव, किसान
ग्रेन गोला किसानों का एक बड़ा आधार संरचना था. किसानों को बेहद कम ब्याज पर ग्रेन गोला से ऋण की सुविधा मिलती थी. आज किसानों को अन्य जगह भटकना पड़ता है. सरकार ग्रेन गोला की सुविधा फिर से चालू करे. अन्य योजना के तहत इसे विकसित किया जाना चाहिए.
– विभूति प्रसाद चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता, मोहनपुर
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