10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ठंड में खुले आसमान के नीचे तिलकहरुए

देवघर: झारखंड सरकार ने बाबाधाम और बासुकिनाथधाम में वर्ष भर लगने वाले श्रद्धालुओं के मेले में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए श्राइन बोर्ड का गठन किया. लेकिन श्राइन बोर्ड का क्रियाकलाप सिर्फ और सिर्फ श्रावणी मेले के बेहतर संचालन पर ही केंद्रीत है. जबकि बाबाधाम में सालों भर कई ऐसे अवसर आते हैं जिसमें […]

देवघर: झारखंड सरकार ने बाबाधाम और बासुकिनाथधाम में वर्ष भर लगने वाले श्रद्धालुओं के मेले में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए श्राइन बोर्ड का गठन किया. लेकिन श्राइन बोर्ड का क्रियाकलाप सिर्फ और सिर्फ श्रावणी मेले के बेहतर संचालन पर ही केंद्रीत है. जबकि बाबाधाम में सालों भर कई ऐसे अवसर आते हैं जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

इस भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेवारी प्रशासन, पुलिस की तो है ही. इन्हें सारी सुविधाएं उपलब्ध कराना श्राइन बोर्ड की जिम्मेवारी है. लेकिन देखा जा रहा है कि श्रावणी मेले के आयोजन को छोड़ अन्य किसी भी अवसर पर श्राइन बोर्ड सक्रिय नहीं है. यही कारण है कि बसंत पंचमी के मेले में मिथिला से आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस कड़ाके की ठंड में जहां-तहां खुले आसमान के नीचे रतजगा करने के विवश हैं. कहा जाता है कि ये बसंत पंचमी में मिथिला से आने वाले श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ के तिलकहरुए हैं. बसंत पंचमी के दिन ही बाबा को तिलक चढ़ता है. तिलक चढ़ाने के लिए मिथिला के श्रद्धालु बाबाधाम पहुंचते हैं.

चरमरायी यातायात व्यवस्था
इन लोगों के रहने के लिए श्रावणी मेले की तरह कोई अस्थायी पंडाल तो नहीं ही है, उनके वाहनों के लिए पड़ाव की भी व्यवस्था नहीं दिख रही है. पूर्व की तरह ही सड़कों के किनारे लोग वाहन लगाते हैं. इस कारण जाम की स्थिति बन रही है.

एक अनुमान के मुताबिक बसंत पंचमी मेले में तकरीबन एक लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं. सभी अपने वाहन से ग्रुप में आते हैं. हजारों वाहनों का आवागमन इस मेले में होता है. लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं दिख रहा है. बसंत पंचमी मेले में कहीं भी श्राइन बोर्ड बनने का असर नहीं दिख रहा है.
इनके लिए नहीं है कोई व्यवस्था
लाखों की संख्या में बसंत पंचमी मेले में आने वाले मिथिला के श्रद्धालुओं के लिए न ही श्राइन बोर्ड ने कोई व्यवस्था की है और न ही जिला प्रशासन ने. इनके लिए न आवासन की सुविधा उपलब्ध कराया गया है और न ही पानी, सुरक्षा, वाहन पड़ाव, शौचालय की ही सुविधा है. यत्र-तत्र ये लोग रात बिताने को मजबूर हैं. जहां-तहां शौच करने को विवश हैं. क्योंकि दो या तीन दिन पहले से ही ये श्रद्धालु देवघर पहुंचते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा पर अबीर-गुलाल चढ़ाकर तिलकोत्सव करने के बाद लौटते हैं.
श्रावणी छोड़ अन्य विशेष मेला
बसंत पंचमी मेला
भादो अढ़ैइया मेला
महाशिवरात्री मेला
उपरोक्त के अलावा भी अन्य कई तिथियों पर भीड़ रहती है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें