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छह सौ सालों से हो रही है घड़ीदार मंडप में दुर्गा पूजा
शहर की सबसे पुरानी मानी जाती है पूजा तांत्रिक विधि से होती है मां की पूजा पुजारी परिमल ठाकुर व आचार्य उत्तम बनर्जी करते हैं पूजा देवघर : धार्मिक नगरी में मां दुर्गा पूजा मुख्य त्योहार है. बाबामंदिर के पूरब दरबाजा स्थित घड़ीदार मंडप में मां की पूजा धूमधाम से की जायेगी. यह पूजा शहर […]
शहर की सबसे पुरानी मानी जाती है पूजा
तांत्रिक विधि से होती है मां की पूजा
पुजारी परिमल ठाकुर व आचार्य उत्तम बनर्जी करते हैं पूजा
देवघर : धार्मिक नगरी में मां दुर्गा पूजा मुख्य त्योहार है. बाबामंदिर के पूरब दरबाजा स्थित घड़ीदार मंडप में मां की पूजा धूमधाम से की जायेगी. यह पूजा शहर की सबसे पुरानी मानी जाती है. चक्रवर्ती परिवार ने लगभग छह सौ साल पहले पूजा का शुभारंभ किया था. इसे घड़ीदार परिवार के वंशज अब तक परिपाटी को निभा रहे हैं. मां का मंडप 1456 में पूआल का बना था.
1800 ई में ध्वजाधारी घड़ीदार के कार्यकाल में मंडप में सर्वाधिक विकास कार्य हुआ. इसे शालीग्राम घड़ीदार ने जारी रखा. यहां तांत्रिक विधि से मां की पूजा होती है. पुजारी परिमल ठाकुर व आचार्य उत्तम बनर्जी पूजा करते हैं. मां की पूजा-अर्चना करने के लिए देवघर सहित आस-पास के जिलों से भी भक्त पहुंचते हैं. अष्टमी के दिन डाला चढ़ाने के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबी कतार लग जाती है. दशमी के दिन मां की प्रतिमा का विसर्जन होता है.
इस संबंध में शिवेंदु घड़ीदार ने कहा कि ठाकुर परिवार हर साल मां की साज-सज्जा देते हैं. मां की प्रतिमा बनने का काम शुरु हो चुका है. इसे गणेश बलियासे बना रहे हैं. पूजा को सफल बनाने में चंडी चरण घड़ीदार, तपन घड़ीदार, अमित घड़ीदार, शिवेंदु घड़ीदार, उत्तम आचार्य, पिंटू आचार्य आदि जुटे हुए हैं.
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