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पुख्ता तथ्य के साथ राज्य सरकार केंद्र को भेजे प्रस्ताव

देवघर: प्रभात खबर की ओर से शुक्रवार को सूचना भवन के सभागार में ‘श्रावणी मेले को क्यों न मिले राष्ट्रीय मेले का दर्जा’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में समाज के हरेक वर्ग, व्यवसाय से जुड़े लोगों की सहभागिता रही. संगोष्ठी से निचोड़ निकल कर आया कि श्रावणी मेला जो 1978 […]

देवघर: प्रभात खबर की ओर से शुक्रवार को सूचना भवन के सभागार में ‘श्रावणी मेले को क्यों न मिले राष्ट्रीय मेले का दर्जा’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में समाज के हरेक वर्ग, व्यवसाय से जुड़े लोगों की सहभागिता रही. संगोष्ठी से निचोड़ निकल कर आया कि श्रावणी मेला जो 1978 में राष्ट्रीय मेले की अर्हता नहीं रखता था. आज सारी अर्हताएं पूरी करता है.
देवघर मुख्य रेल लाइन से जुड़ा है, राज्य सरकार ने इसे राजकीय मेला घोषित कर दिया है, राज्य के पर्यटन मानचित्र पर श्रावणी मेला है, दो-दो एनएच से देवघर कनेक्ट हुआ है, एयरपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, राष्ट्रीय मानचित्र पर भी देवघर आ गया है क्योंकि यदि राष्ट्रीय मानचित्र पर नहीं आता तो देवघर में एयरपोर्ट नहीं बनता, यहां एम्स की स्थापना की बात नहीं होती. श्रावणी मेले और भादो मेले में तकरीबन 60 से 70 लाख श्रद्धालुओं का बाबाधाम आगमन होता है. ये श्रद्धालु देश के कोने-कोने से तो आते ही हैं, कई दूसरे देशों से भी काफी संख्या में आ रहे हैं. इस तरह श्रावणी मेला और बाबा बैद्यनाथ की महिमा उसकी महत्ता राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच गया है.

वक्ताओं की एक राय बनी कि झारखंड के तमाम विधायक व मंत्री विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर और कैबिनेट में निर्णय लेकर केंद्र सरकार को एक पुख्ता प्रस्ताव भेजे. जब प्रस्ताव केंद्र को जाये तो झारखंड के तमाम सांसद, बिहार के तमाम सांसद जिनको बाबा बैद्यनाथ के प्रति आस्था है, जो श्रावणी मेले में जलार्पण का महत्व समझते हैं, वैसे सभी सांसद मिलकर सदन में मामले को उठायें, केंद्र सरकार पर दबाव बनायें ताकि जल्द से जल्द इसे राष्ट्रीय मेला घोषित किया जाये. इसके लिए सामूहिक पहल की जरूरत है. प्रभात संगोष्ठी में आये तमाम बुद्धिजीवियों ने जो बातें रखी, प्रस्तुत हैं उनके विचार :

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