झारखंड ने 2015 में ही जमीन चिन्हित करके दे दिया. लेकिन झारखंड छोड़ अन्य कई राज्य जिन्होंने जमीन भी नहीं दी, वैसे राज्यों को एम्स मिल गया. बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में तो दो-दो एम्स हो गये. इसलिए सरकार बताये कि आज तक झारखंड को एम्स क्यों नहीं मिला. एम्स देने के लिए भारत सरकार कौन सा मापदंड अपनाती है. इसके जवाब में केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एम्स के मापदंड और प्रक्रिया की जानकारी दी. लेकिन उनके जवाब से सांसद संतुष्ट नहीं हुए. इस क्रम में पुन: सांसद श्री दुबे ने एम्स के संदर्भ में मंत्रालय के कई पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड को कब तक एम्स मिलेगा व देवघर में कब तक एम्स का काम शुरू होगा, सरकार बताये. केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कलस्ते ने कहा कि निश्चित ही झारखंड के लिए एम्स पर विचार करेंगे.
लोकसभा में सांसद ने कहा कि 19 जुलाई 1978 में तत्कालीन सीएम कर्पूरी ठाकुर और बंगाल के तत्कालीन सीएम ज्योति बसु के बीच करार हुआ था. लेकिन विडंबना है कि आज तक बंगाल सरकार ने इस करार पर अमल नहीं किया. इस करार के तहत बैल पहाड़ी स्थित बराकर नदी पर कोनार डैम बनना था, 1980 में कमीशन होना था, आज तक नहीं हो पाया है और एग्रीमेंट में बंगाल के सिद्धेश्वरी-नूनबेल डैम 1978 में ही बनना था. इसी तरह काली पहाड़ी डैम के अलावा चार डैम बंगाल सरकार को अपने खर्च पर बनाना था, जो नहीं बन पाया. सांसद ने भारत सरकार से मांग किया कि 1978 के उस करार को री-डू करके इस करार के अनुपालन का उपाय करे. गोड्डा सांसद द्वारा उठाये गये मुद्दे का सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने भी समर्थन किया.