देवघर: प्राइमरी स्कूलों में कक्षा आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को मध्याह्न् भोजन देना अनिवार्य है. खाद्यान्न व राशि की अनुपलब्धता की वजह से कुछ स्कूलों को छोड़ सभी स्कूलों में बच्चों के बीच मध्याह्न् भोजन परोसा जा रहा है.
लेकिन, मध्याह्न् भोजन तैयार करने के लिए स्कूल के माता समिति सहित शिक्षकों को पानी के लिए हर दिन मगजमारी करनी पड़ती है. विभाग के अनुसार करीब 80 फीसदी स्कूलों में चापानल है. लेकिन, अधिकांश स्कूलों का चापानल खराब है. मध्याह्न् भोजन के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है. मजबूरन स्कूल प्रबंधन को मध्याह्न् भोजन के लिए पानी खरीदना पड़ता है. पानी खरीदे जाने के एवज में भरिया को प्रतिदिन नकद भुगतान भी करना पड़ता है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में 2108 स्कूल है.
यहां कक्षा आठवीं तक में नामांकित छात्रों की संख्या 2.75 लाख के करीब है. जिले के स्कूलों में प्रतिदिन औसतन 60 से 70 फीसदी छात्रों की उपस्थिति होती है. कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए 3.33 रुपये व कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों के लिए 4.99 रुपये का प्रावधान है. पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक का पक्ष लेना चाहा. लेकिन, उपलब्ध नहीं हुए.
खाते में भेजी गयी राशि
मध्याह्न् भोजन कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए 1725 स्कूलों को एक करोड़ तीन हजार व कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों के लिए 633 स्कूलों को 63.90 लाख रुपये भेजा गया है. साथ ही समिति को आवश्यक निर्देश दिया गया है.