स्क्रूटनी कमेटी का दायित्व था कि नियुक्ति के लिए जो प्रक्रिया अपनायी गयी है. वो निर्धारित मापदंड के अनुकूल है अथवा नहीं. अभ्यर्थियों का औपबंधिक मेधा सूची का निर्माण मापदंड के अनुकूल किया गया है अथवा नहीं. मेरिट लिस्ट में शामिल किये गये अभ्यर्थियों का नाम योग्यता के आधार के अनुसार है अथवा नहीं. अगर निर्धारितर अर्हता अथवा मापदंड अभ्यर्थी पूरा नहीं कर रहे थे तो किस परिस्थिति में अभ्यर्थियों का चयन किया गया.
स्क्रूटनी कमेटी के पदाधिकारियों ने कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं किया. कई ऐसे सवाल है जो अभी भी अनसुलझे हैं. जांच रिपोर्ट से यह तो खुलासा हो गया है कि शिक्षक नियुक्ति में घोर अनियमितता बल्कि व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ है. लेकिन, स्पष्ट रूप से फर्जीवाड़ा में शामिल पदाधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं हो पायी है.