दुमका छोड़ संताल में कहीं नहीं है प्रदूषण जांच की व्यवस्था
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अनदेखी. अनफिट वाहनों से पर्यावरण को हो रहा है नुकसान
दुमका छोड़ संताल में कहीं नहीं है प्रदूषण जांच की व्यवस्था संताल में हजारों वाहन बगैर प्रदूषण जांच के ही चल रहे हैं. इसके लिए दुमका छोड़ किसी भी जिले में सरकारी व्यवस्था तक नहीं है. देवघर : देवघर सहित साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़ व जामताड़ा की सड़कों पर दौड़ने वाले कॉमर्शियल व पर्सनल व्हीकल्स के […]
संताल में हजारों वाहन बगैर प्रदूषण जांच के ही चल रहे हैं. इसके लिए दुमका छोड़ किसी भी जिले में सरकारी व्यवस्था तक नहीं है.
देवघर : देवघर सहित साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़ व जामताड़ा की सड़कों पर दौड़ने वाले कॉमर्शियल व पर्सनल व्हीकल्स के प्रदूषण की जांच नहीं होती है. सड़कों पर फर्राटेदार वाहनों का परिचालन होता है, लेकिन किसी भी वाहन चालकों के पास प्रदूषण नियंत्रण का कोई सर्टिफिकेट नहीं है. वाहनों के चालक न सिर्फ यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं.
जिला परिवहन विभाग भी प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित सर्टिफिकेट की जांच नहीं कर रही है. जानकारी के मुताबिक उपराजधानी दुमका को छोड़ देवघर, साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़ एवं जामताड़ा में कॉमर्शियल एवं पर्सनल व्हीकल्स के प्रदूषण की जांच का इंतजाम नहीं है. वर्षों पहले देवघर में वाहनों के प्रदूषण की जांच का इंतजाम था. वाहन चालक निर्धारित शुल्क देकर प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिया करते थे, लेकिन वर्तमान में दुमका को छोड़ वाहनों के प्रदूषण जांच का इंतजाम नहीं है. अनुमान के मुताबिक संताल परगना की सड़कों पर रोजाना करीब पांच लाख छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन होता है.
निर्धारित पैरामीटर से ज्यादा प्रदूषित हैं वाहन
संताल की सड़कों पर रोजाना पांच लाख छोटे-बड़े वाहनों का होता है परिचालन
देवघर में वर्षों पहले वाहनों की प्रदूषण जांच का इंतजाम था
प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिला परिवहन विभाग भी नहीं है गंभीर
पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए वाहनों में प्रदूषण की स्थिरता को तय करने के लिए पैरामीटर निर्धारित किया गया है. निर्धारित पैरामीटर से ज्यादा वाहन प्रदूषित नहीं हो. इसके लिए प्रत्येक छह-छह माह में वाहनों की जांच आवश्यक है. लेकिन, संताल की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों का प्रदूषण जांच नहीं होता है. नतीजा वायु व ध्वनि के प्रदूषण से आम से लेकर खास लोग परेशान हैं. वहीं वन एवं पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है. साथ ही विभाग को भी हर वर्ष लाखों का राजस्व नुकसान हो रहा है.
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