दिनों-दिन शिव बारात का दायरा बढ़ रहा है, इसी के साथ बढ़ रही है उनकी व्यवस्था. जैसे विद्युत चालित तोरण द्वार, आकर्षक इलेक्ट्रानिक झांकियां आदि. लेकिन इस आकर्षक विद्युत सज्जा का आर्थिक बोझ बिजली विभाग उठाता है. क्योंकि जो भी विद्युत चलित साज सज्जा पूरे देवघर शहर में लगाये गये हैं, उसका विधिवत कनेक्शन या परमीशन नहीं लिया गया है.
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शिवरात्रि महोत्सव: बिजली विभाग को लगा सात लाख का चूना
देवघर: बाबाधाम का शिवरात्रि महोत्सव काफी चर्चित रहा है. यही कारण है कि विभिन्न राज्यों के कोने-कोने से लोग महाशिवरात्रि पर बाबाधाम आते हैं और आकर्षक शिव बारात की झांकी का आनंद लेते हैं. बारात में शरीक होकर भगवान शिव के विवाह समारोह में शामिल होते हैं. कई वर्षों से आकर्षक विद्युत सज्जा तो लोगों […]
देवघर: बाबाधाम का शिवरात्रि महोत्सव काफी चर्चित रहा है. यही कारण है कि विभिन्न राज्यों के कोने-कोने से लोग महाशिवरात्रि पर बाबाधाम आते हैं और आकर्षक शिव बारात की झांकी का आनंद लेते हैं. बारात में शरीक होकर भगवान शिव के विवाह समारोह में शामिल होते हैं. कई वर्षों से आकर्षक विद्युत सज्जा तो लोगों को काफी पसंद आता है.
कुछेक झांकियों को छोड़ पूरी विद्युत सज्जा तार में टोका फंसा कर संचालित हुए. इस बार भी शिवरात्रि महोत्सव के चार दिन पहले से ही विद्युत सज्जा किया गया. टोका फंसा कर इतनी बड़ी संख्या में लाइटिंग होती रही लेकिन बिजली विभाग मूकदर्शक बना रहा. अधिकारियों की लापरवाही का बोझ बिजली विभाग पर पड़ा. विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता की माने तो प्रतिदिन विभाग को एक लाख से अधिक का चूना लगा. इस तरह छह दिन में विभाग को सात से आठ लाख रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. हैरत की बात तो यह है कि इतनी बड़ी संख्या में लाइट लगने के बाद जब विभाग को लोड बढ़ा होगा, तो भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की.
अब ऐसे में विभाग के अधिकारी किसकी ड्यूटी बजा रहा थे. किसके प्रति विभाग के अधिकारी उत्तरदायी थे, ये तो वे ही जानें लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण विभाग का तो नुकसान हो गया. अब इसकी भरपाई कौन और कैसे होगी. इसका उत्तर देने के लिए विभाग के कोई अधिकारी कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं.
राजकीय उत्सव की घोषणा से हो सकता है समाधान
श्रावणी मेले के दौरान सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाएं कांवरिया पथ पर व शहर के आसपास के इलाके में कांवरियों के सेवार्थ शिविर लगाने से पूर्व बिजली उपयोग के लिए विभागीय कार्यालय को आवेदन देती है. अस्थायी कनेक्शन लेकर बिल का भुगतान किया जाता है. महाशिवरात्रि का महाआयोजन बाबानगरी की गौरवमय पहचान बन चुकी है. इसलिए आयोजन के लिए बिजली की आपूर्ति में आने वाली व्यवहारिक दिक्कतों पर सरकार को ध्यान देने आवश्यकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार देवघर के महाशिवरात्रि आयोजन को राजकीय उत्सव की दर्जा दे दें तो ये दिक्कतें खत्म हो सकती हैं. इससे समिति पर आयोजन के खर्च का बोझ भी कम होगा अौर श्रावणी मेले की तरह वैधानिक रूप से आयोजन के लिए बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी.
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