देवघर: देवघर शहर भी बड़े शहरों के तर्ज पर मॉल व अपार्टमेंट निर्माण तेजी से कदम बढ़ा रहा है. देवघर में रियल स्टेट का कारोबार बढ़ता जा रहा है. देवघर में आधे दर्जन अपार्टमेंट बनकर तैयार है. जबकि कई अपार्टमेंट का काम तेजी से चल रहा है. इन बहुमंजिली इमारतों में अगर दुर्भाग्यवश आग लग जाये तो यहां फायर स्टेशन के पास जो सीमित संसाधन है, इस परिस्थिति में उस पर काबू नहीं पाया जा सकता . हालत यह कि फायर स्टेशन में फायर फाइटिंग के लिए भी आधुनिक संसाधन का घोर अभाव है .
फेस मास्क व फोम टेंडर तक नहीं : देवघर फायर स्टेशन में मामूली धुआं में घुसने के लिए फायर स्टेशन कर्मचारियों के पास फेस मास्क व पर्याप्त ऑक्सीजन सिलिंडर तक नहीं है जिससे धुआं में घुस कर आग पर काबू पाने के लिए रास्ते खोज पायें. हाल ही बिग बाजार में आग की वजह से निकल रहे धुआं में फायर ब्रिगेड के कर्मी नहीं घुस पाये थे. इसके अलावा तेल गोदाम व तेल के अन्य क्षेत्र में आग लगने पर काबू पाने के लिए फोम टेंडर की आवश्यकता पड़ती है. फोम टेंडर एक लीक्विड पदार्थ है. इससे आग पर तेजी से काबू पाया जा सकता है. लेकिन यहां यह भी सुविधा उपलब्ध नहीं है.
बाटो स्काइलीफ भी नदारत : अधिकांश अपार्टमेंट छह मंजिला या उससे अधिक माले का होता है . इन बहुमंजिला इमारतों के उपरी कमरों में एअगर आग लगती है तो फायर रेस्क्यू टीम आग तक पहुंचने में विफल साबित हो सकती है, चूंकि इसके लिए बाटो स्काइलीफ की जरूरत पड़ती है. इसके जरिये फायर ब्रिगेड के कर्मी सीधे कमरे तक पहुंच कर पानी डालते है. अभी तक यह उपलब्ध नहीं है .
11 कर्मचारी व एक अफसर के सहारे फायर ब्रिगेड टीम : देवघर फायर स्टेशन के पास 11 कर्मचारी व एक अफसर है. जबकि तीन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां है. इसमें एक मधुपुर में रखा गया है. इन 12 फायर फाइटर की टीम बड़े हादसों के लिए कैसे मुनासिब हो सकता है, इसलिए फायर स्टेशन अफसर ने तीन माह पूर्व सरकार के पास कर्मियों की संख्या 22 करने व अफसर की संख्या बढ़ाने का डिमांड भेजा है.
टेलीफोन नंबर भी तीन माह से खराब : फायर स्टेशन का टेलीफोन नंबर 232260 तथा 101 पिछले तीन माह से खराब पड़ा है. कहीं भी आग लगने पर लोगों को स्थानीय थानेदार को मोबाइल नंबर में सूचना देना पड़ता है. जबकि कुछ लोग फायर स्टेशन अफसर मिथिलेश कुमार के प्राइवेट नंबर 993155139 पर भी सूचना देते हैं.
इमारतों में फायर ब्रिगेड का एनओसी का पालन नहीं : फायर स्टेशन अफसर मिथिलेश कुमार ने बताया कि किसी भी प्रकार की बहुमंजिला इमारत निर्माण करने से पहले नक्शा बनाने के दौरान ही नगर निगम के जरिये फायर ब्रिगेड से एनओसी लेना आवश्यक होता है. देवघर में यह सुविधा केवल 48 फीट ऊंची मकान तक है. इससे अधिक ऊंची मकान के लिए फायर ब्रिगेड मुख्यालय (रांची) से एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य है. देवघर में आधे दर्जन निर्माणाधीन अपार्टमेंट ने इस प्रक्रिया के लिए आवेदन दिया है.
मॉल व इमारतों में इन मानकों का करना होगा पालन : मॉल व इमारत में एनओसी लेने से पहले आवेदन में फायर सेफ्टी के कई मानकों का पालन करना होगा. इसमें हाइडन वाटर बोरिंग, पाइप रेजर, जेनरेटर, फायर इंस्टीयूशन व आपातकालीन खिड़की आदि प्रमुख रूप से है.
हाइडन वाटर बोरिंग रहने से फायर ब्रिगेड की टीम आग बुझाने में लगातार लगी रहेगी, ताकि पानी की खत्म नहीं हो पाये. आग लगने से अक्सर बिजली चली जाती है, ऐसी परिस्थिति जेनरेट दुरुस्त होना चाहिए.