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ओके :: देघजल गजल पुस्तक का हुआ लोकार्पण-पूर्वमंत्री केएन झा सहित कई बुद्धजीवी हुए शामिल-देवघर की बोली और भाषा की है पहली गजल पुस्तक-झारखंड रत्न से सम्मानित परेश दत्त ने की रचना-अतिथियों को माला पहना कर किया गया सम्मानित-मां सरस्वती की तसवीर पर माल्यार्पण से हुआ कार्यक्रम की शुरुआत-वैदिकों ने गाया मंगलाचरणसंवाददाता, देवघर लक्ष्मीपुर चौक […]

ओके :: देघजल गजल पुस्तक का हुआ लोकार्पण-पूर्वमंत्री केएन झा सहित कई बुद्धजीवी हुए शामिल-देवघर की बोली और भाषा की है पहली गजल पुस्तक-झारखंड रत्न से सम्मानित परेश दत्त ने की रचना-अतिथियों को माला पहना कर किया गया सम्मानित-मां सरस्वती की तसवीर पर माल्यार्पण से हुआ कार्यक्रम की शुरुआत-वैदिकों ने गाया मंगलाचरणसंवाददाता, देवघर लक्ष्मीपुर चौक स्थित श्री बैद्यनाथ संस्कृत पुस्तकालय में पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम हुआ. इसमें देवघर की बोली और भाषा पर आधारित गजल पुस्तक परेश दत्त रचित देघजल का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा, पूर्व प्रधानाध्यापक वीरेंद्र चरण द्वारी, केंद्रीय विद्यालय के पूर्व प्रचार्य डा मोती लाल द्वारी, सर्वेश्वर दत्त द्वारी, मार्कण्डे कुंजिलवार ने संयुक्त रूप से किया. इस दौरान पुस्तकालय तालियों से गूंज उठा. इससे पूर्व अतिथियों के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. अतिथियों का स्वागत माला पहना कर किया गया. वैदिक मंत्रों से मंगलाचरण का पाठ किया. मंच संचालन राजीव शंकर झा ने की. मौके वीरेंद्र चरण द्वारी, श्याम नारायण द्वारी, भवानी शंकर, डा शंकर मोहन झा, दुर्लभ महाराज, मुकुट नारायण पुरोहितवार, संजय नारायण मिश्र, झलकू मठपति, कमल बाबा, बॉबी जजवाड़े, राजू कुमार, सौरभ खवाड़े, अमर चांद पंडित, बबन पुरोहितवार उपस्थित थे. अतिथियों ने कहापूर्व मंत्री कृष्णानंद झा ने कहा कि इस गजल के रचनाकार परेश दत्त द्वारी गायक, संगीतज्ञ, कवि आदि हैं. संगीत के क्षेत्र में सराहनीय अवदान है. इनकी कई लेखों को पाठ्य पुस्तिका में शामिल किया गया है. इन्हें झारखंड रत्न से सम्मानित किया गया है. यह गजल पुस्तक गाने लायक है. डा मोती लाल द्वारी ने कहा कि इस पुस्तक में कुल 100 गजल है. सभी देवघरिया भाषा में लिखी गयी है. यह आनेवाले दिनों में गजल के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा.सर्वेश्वर दत्त द्वारी ने कहा कि कार्यक्रम में शामिल होकर खुशी हो रही है. नयी पीढ़ी को देवघर की संस्कृति से अवगत होने के लिए इस तरह की और पुस्तकों की जरूरत है. इसकी शुरुआत हो चुकी है. अब दूसरे लोग भी आगे आयेंगे. क्या कहा रचनाकार ने परेश दत्त द्वारी ने कहा कि उनके द्वारा रचित कई चीजें बिहार व झारखंड के पाठ्यक्रम में पढ़ाई हो रही है. नयी पीढ़ी को गीत-संगीत से अपनी संस्कृति से अवगत कराने के लिए देवघर की बोली गजल की रचना की है. यह एक छोटा प्रयास है. लोगों ने पसंद किया तो आगे फिर विचार करेंगे.

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