देवघर: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लॉ डिवीजन ने झारखंड में घटवार/घटवाल और खैतोरी जाति को जनजाति सूची में शामिल करने के मामले में हो रही देरी को गंभीरता से लिया है. आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से छह सप्ताह के अंदर इस मामले में झारखंड सरकार घटवार/घटवाल व खेतौरी जाति के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगा है.
आयोग की रिपोर्ट से साफ है कि झारखंड सरकार की ओर से रिपोर्ट भेजने में हो रही देरी के कारण उक्त जातियों को जनजातीय का दर्जा मिलने में देरी हो रही है. आयोग ने भारतीय संविधान की आर्टिकल 342(1) के आधार पर इन जातियों को जनजातीय सूची में शामिल करने की कार्रवाई की जाये. काफी लंबे समय से ये जातियां अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रही है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, पाकुड़ के कुंदन कुमार सिंह, टेक लाल राय, चाकू सिंह, मधु सूदन राय, अजय कुमार सिंह सहित कई लोगों ने आयोग को पत्र लिखकर इन जातियों को न्याय नहीं मिलने की बात कही है.
आयोग ने मुख्य सचिव से यह भी कहा है कि सरकार इस मामले में पूरी रिपोर्ट दे जिसमें इन जातियों के सामाजिक, आर्थिक व स्टेटस आदि का जिक्र हो. जितनी जल्दी झारखंड सरकार से यह रिपोर्ट आयेगी, उसे केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को भेजा जायेगा, जिससे त्वरित कार्रवाई करके इन जातियों को न्याय मिल सके. इस आशय की रिपोर्ट ट्रायबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीच्यूट रांची को भी भेजें ताकि रिसर्च इंस्टीच्यूट की ओर से केंद्र सरकार को विभागीय रिपोर्ट भेजी जा सके. आयोग के असिसटेंट रजिस्ट्रार(लॉ) ने कहा है कि 68 साल पूर्व ये घटवाल/घटवार जनजातीय सूची में शामिल थे लेकिन क्लर्किल भूल के कारण इतने दिनों से जातियां जनजातीय सूची से बाहर हैं, क्योंकि ये जाति काफी पिछड़ी हैं, इसलिए रिजर्वेशन नहीं मिलने के कारण इन जातियों का विकास नहीं हो पाया है.