देवघर: शिवदत्त शर्मा उर्फ शंभु शर्मा ने देवघर में स्वास्थ्य की दिशा में बड़ा काम करने की सोची. इस उद्देश्य से उन्होंने मेसर्स मां ललिता हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड व परित्रण मेडिकल कॉलेज के लिए विभिन्न बैंकों से बड़ी मात्र में ऋण लिया.
अभी तक जो मामला सामने आया है, उसके अनुसार श्री शर्मा ने विभिन्न बैंकों से विभिन्न लोगों के नाम पर तकरीबन 29.50 करोड़ का ऋण लिया. लेकिन, बैंक से हुए एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर उन्होंने ऋण चुकता नहीं किया. नतीजा हुआ कि इतनी बड़ी रकम के लिए बैंकों के उन अधिकारियों पर बैंक प्रबंधन ने दबाव डालना शुरू किया. रिकवरी नहीं होने पर बैंक ने सीबीआइ का सहारा लिया.
इसके बाद सीबीआइ की बैंक सिक्यूरिटी सेल ने मामले की जांच शुरू की. बताया जाता है कि श्री शर्मा ने सर्वाधिक ऋण इलाहाबाद बैंक से लिया है. सीबीआइ ने जांचोपरांत न सिर्फ शंभु शर्मा पर मामला दर्ज किया गया, बल्कि बैंक ऑफिशियल जो ऋण दिलवाने में शामिल थे, उन पर गाज गिरी है.
समझौते के तहत नहीं दी राशि
जब समयावधि बीत जाने के बाद भी श्री शर्मा ने बैंकों को 29.50 करोड़ नहीं लौटाया तो पुन: बैंक हाइकोर्ट की शरण में गये और उनकी ओर से कोर्ट को कहा गया कि समझौता फेल हो गया है. लेकिन, श्री शर्मा की ओर से पुन: बैंक से मांगा गया कि किस अकाउंट में पैसा जायेगा आदि. इस तरह समझौता अभी भी स्टैंड कर रहा है. मामला अभी भी हाइकोर्ट के विचाराधीन है.