देवघरः शिवदत्त शर्मा उर्फ शंभु शर्मा ने मेसर्स मां ललिता हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना के लिए विभिन्न बैंकों से करोड़ों रुपये ऋण लिया. लेकिन, ऋण समय पर चुकता नहीं किया. इसको लेकर बैंक की ओर से सीबीआइ की बैंक सिक्यूरिटी फ्रॉड सेल में एक मामला दर्ज कराया गया था. सीबीआइ सूत्रों से जानकारी मिली कि श्री शर्मा ने विभिन्न बैंकों से तकरीबन 29.50 करोड़ रुपये का ऋण लिया.
एकरारनामे के मुताबिक बैंकों को रुपये नहीं लौटाये गये. इस मामले में सीबीआइ ने शिवदत्त शर्मा और कुछ बैंक कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू की. जब सीबीआइ ने जांच शुरू की तो कई खुलासे हुए. सीबीआइ की रिपोर्ट अब अंतिम चरण में है. कई दौर की पूछताछ भी सीबीआइ ने शंभु शर्मा से की है. पिछले दिनों भी सीबीआइ की टीम श्री शर्मा के आवास पर आयी थी, हालांकि वे नहीं मिले. सीबीआइ ने जरूरी कुछ कागजात वगैरह लेकर गयी. सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ श्री शर्मा को तलब की है. क्योंकि जो सुलहनामा बैंक और उनके बीच हुआ था, वह समय बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ. इस कारण सीबीआइ ने श्री शर्मा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
फिलवक्त इस संबंध में एक मामला झारखंड हाइकोर्ट में भी चल रहा है. अभी तक यह केस पेंडिंग है. जांच के दौरान सीबीआइ ने ऐसे-ऐसे तथ्य जुटाये हैं कि यदि बैंक की राशि रिकवरी नहीं होती है तो श्री शर्मा बुरी तरह फंस सकते हैं. उनके खिलाफ बड़ा मामला बन सकता है. यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में कई बैंक अधिकारियों व कर्मियों की गरदन भी फंस सकती है. फिलवक्त बैंक अधिकारी कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है. इसलिए एकरारनामा फेल होने के बाद बैंक रेस है. बैंक राशि रिकवरी की कोशिश में लगी है. वहीं सीबीआइ अब श्री शर्मा को कोई मोहलत देने के पक्ष में नहीं है.