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दिन में रूला रही बिजली, अंधेरे में कट रही रात

विभाग नहीं देती है जानकारी, सब-स्टेशन का फोन भी रहता है बंद देवघर : देवघर की गरमी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. ऊपर से बिजली की कटौती ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया है. पिछले तीन दिनों से चल आ रही बिजली की कटौती कब खत्म होगी, इस बारे […]

विभाग नहीं देती है जानकारी, सब-स्टेशन का फोन भी रहता है बंद
देवघर : देवघर की गरमी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. ऊपर से बिजली की कटौती ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया है. पिछले तीन दिनों से चल आ रही बिजली की कटौती कब खत्म होगी, इस बारे में विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही है.
ललमटिया सिटी ब्रेकर ब्लास्ट के बाद डाबरग्राम पावर ग्रिड को सुल्तानगंज से 20 मेगावाट व डीवीसी से रेल सहित 25 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है. उपभोक्ता पावर सब स्टेशन से जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं तो वहां का फोन स्वीच ऑफ बताया जाता है. बेचारे उपभोक्ता अपनी शिकायत लेकर कहां जायें, इसे लेकर पशोपेश में हैं.
उमस भरी गरमी में लोग दिन तो गुजार लेते हैं, लेकिन रात में अंधेरा व गरमी से लोग बेहद परेशान हैं. शाम के बाद विभिन्न फीडरों से दो घंटे की कटौती पर एक घंटे बिजली की आपूर्ति होती है. अनियमित बिजली आपूर्ति की वजह से लोगों के घरों के नलों का टोटा सूखा पड़ा है. पानी की टंकी खाली पड़ी है. लोगों को पीने के पानी तक के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. बच्चे पढ़ाई से कतराते हैं, इंवर्टर चार्ज नहीं हो रहा है. मोबाइल चार्ज के लिए जेनेरेटर पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
आवश्यक सेवाएं भी चरमरायी
अनियमित बिजली आपूर्ति का असर आवश्यक सेवा पर भी पड़ा है. अस्पताल, नर्सिग होम, होटल, बाजार आदि जेनेरेटर पर आश्रित हो गया है. डॉक्टर की सलाह पर मरीज जांच के लिए पैथोलॉजी पहुंचते हैं तो उन्हें भी जांच के बाद रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है. एक्स-रे से लेकर अन्य जांच में भी बिजली बाधक बना हुआ है. होटल व्यवसाय भी प्रभावित हो गया है. बाजार की रौनक भी जेनेरेटर पर ही निर्भर है.
बिजली की आपूर्ति में बरता जा रहा है भेदभाव
डाबरग्राम पावर सब स्टेशन हो या कॉलेज सब स्टेशन या बैजनाथपुर पावर सब स्टेशन बिजली की आपूर्ति में अनियमितता बरती जाती है.
उपभोक्ताओं ने कई बार शिकायत भी की, लेकिन विभागीय पदाधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं दिखते हैं. नतीजा विभागीय भेदभाव का खामियाजा उपभोक्ताओं व जनता को भुगतना पड़ रहा है. विभाग तो नहीं सुनता ही नहीं है. जनप्रतिनिधि भी मौन हैं.

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