सफल छात्रों के मुकाबले सीटों की संख्या कम होने की वजह से 2500 से अधिक छात्र-छात्राओं को इंटरमीडिएट के लिए जिला छोड़ना होगा. अथवा पढ़ाई से वंचित रखना होगा. राज्य गठन के बाद प्रत्येक जिले के प्रखंडों में एक-एक प्लस टू विद्यालय खोले गये. लेकिन, शिक्षक एवं आवश्यक संसाधन नहीं होने की विद्यार्थी सरकारी विद्यालय में दाखिले से कतराते हैं. जिले में मैट्रिक पास करने वाले छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बावजूद सूबे की सरकार विद्यार्थियों के पठन-पाठन को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है.
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इंटर : सीटें कम, दाखिले के लिए छात्रों की संख्या ज्यादा
देवघर: झारखंड अधिविद्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित मैट्रिक परीक्षा 2015 में देवघर के 11 हजार 776 विद्यार्थी सफल हुए हैं. लेकिन, इंटरमीडिएट में दाखिले के लिए देवघर के कॉलेजों एवं स्कूलों में सीटों की कुल संख्या 9 हजार 334 है. आइसीएसइ एवं सीबीएसइ बोर्ड से दसवीं उत्तीर्ण छात्रों की संख्या एक हजार है. सफल […]
देवघर: झारखंड अधिविद्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित मैट्रिक परीक्षा 2015 में देवघर के 11 हजार 776 विद्यार्थी सफल हुए हैं. लेकिन, इंटरमीडिएट में दाखिले के लिए देवघर के कॉलेजों एवं स्कूलों में सीटों की कुल संख्या 9 हजार 334 है. आइसीएसइ एवं सीबीएसइ बोर्ड से दसवीं उत्तीर्ण छात्रों की संख्या एक हजार है.
जामताड़ा, साहिबगंज एवं पाकुड़ के विद्यार्थियों की भी मुश्किलें कम नहीं : संताल परगना जामताड़ा, साहिबगंगज एवं पाकुड़ जिले में भी उपलब्ध सीटों के मुकाबले सफल विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है. नतीजा देवघर के साथ-साथ संताल परगना के कुल चार जिलों के विद्यार्थियों के समक्ष मुश्किले है. आंकड़ा पर गौर करें तो जामताड़ा में सीटों की संख्या 6144, सफल विद्यार्थी 7892, साहिबगंज में उपलब्ध सीटों की संख्या 10624 एवं सफल विद्यार्थी 12409, पाकुड़ में सीटों की संख्या 4224 एवं सफल विद्यार्थी 6774 है.
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