हिंदू समाज में जीवन यात्रा के दो मार्ग हैं. पहला त्याग का मार्ग है जिसे ‘निवृत्ति मार्ग’ कहा गया है. दूसरा सांसारिक क्रियाकलापों में सक्रिय साझेदारी का मार्ग है, जिसे ‘प्रवृत्ति मार्ग’ कहा गया है. पहला मार्ग यद्यपि कठिन है, तथापि सीधा लक्ष्य तक पहुंचाता है. दूसरा मार्ग अधिकांश लोगों के लिए है. यह लंबा तथा टेढ़ा-मेढ़ा है. इस मार्ग के यात्री अपनी इच्छाओं तथा महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करते हैं. इस मार्ग की सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि भौतिक आकांक्षाएं साध्य नहीं बल्कि अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने के साधन है. चूंकि हिंदुओं की पूजा-पद्धति, देवी, देवता, प्रतीक, ग्रंथ, मंदिर आदि अनेक हैं, इसलिए दूसरे लोग यह समझने की गलती कर बैठते हैं कि हिंदू केवल मूर्ति-पूजक हैं. सत्य के विपरीत इससे बड़ी कोई और बात नहीं हो सकती.
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प्रवचन:::: हिंदू समाज में जीवन यात्रा के दो मार्ग
हिंदू समाज में जीवन यात्रा के दो मार्ग हैं. पहला त्याग का मार्ग है जिसे ‘निवृत्ति मार्ग’ कहा गया है. दूसरा सांसारिक क्रियाकलापों में सक्रिय साझेदारी का मार्ग है, जिसे ‘प्रवृत्ति मार्ग’ कहा गया है. पहला मार्ग यद्यपि कठिन है, तथापि सीधा लक्ष्य तक पहुंचाता है. दूसरा मार्ग अधिकांश लोगों के लिए है. यह लंबा […]
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