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प्रबंध परिषद से स्थानीय जनप्रतिनिधि हैं नदारद
देवघर : ‘हिंदी के संबंध में मेरा विचार लोगों को मालूम है. मैं हिंदी को एक -दूसरे रूप में हमेशा देखा करता हूं. और जो कुछ हमसे हिंदी की सेवा होती है वह उसी प्रकार से होती है. मैं बहुत दिनों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखता रहा हूं और देखना चाहता हूं.’ […]
देवघर : ‘हिंदी के संबंध में मेरा विचार लोगों को मालूम है. मैं हिंदी को एक -दूसरे रूप में हमेशा देखा करता हूं. और जो कुछ हमसे हिंदी की सेवा होती है वह उसी प्रकार से होती है. मैं बहुत दिनों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखता रहा हूं और देखना चाहता हूं.’ यह कथन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद था. डॉ राजेंद्र प्रसाद हिंदी विद्यापीठ के कुलाधिपति के पद पर आजीवन आसीन भी रहे.
पूर्वोत्तर के छात्रों के बीच हिंदी का प्रचार-प्रसार कर डिग्रियां देकर नौकरी के लिए प्रोत्साहित करने में हिंदी विद्यापीठ का योगदान निश्चित रूप से सराहनीय है. यह कार्य आज भी अनवरत जारी है. लेकिन, आठ दशक बाद हिंदी विद्यापीठ जिस हाल में है. वह किसी से छिपी भी नहीं है. हिंदी विद्यापीठ के क्रियाकलापों को पारदर्शी नहीं बनाने का भी आरोप लगता रहा. विद्यापीठ के क्रियाकलापों के संचालन के लिए प्रबंध परिषद भी कार्यरत है.
लेकिन, प्रबंध परिषद से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को हमेशा से अलग रखा गया. नतीजा विद्यापीठ के कामकाज में जनप्रतिनिधियों (सांसद व विधायक) का सीधा-सीधा हस्तक्षेप नहीं हुआ. न ही हिंदी विद्यापीठ ऐसे संस्थान के उत्थान के लिए प्रांतीय स्तर पर सरकारी मदद ही ली जा सकी. यही वजह है कि झारखंड निर्माण के 14 वर्षो बाद भी यहां की सरकार से आर्थिक व अन्य कोई सुविधा नहीं मिल पायी. संस्थान के कामकाज एवं मापदंडों पर उठ रहे सवालों के घेरे में यह संस्थान सूबे की पिछली सरकार की नजर में आ गयी थी. पिछली सरकार ने टीम गठित कर रिपोर्ट भी लिया था. लेकिन, संस्थान की डिग्रियों की वैधता पर फैसला वर्तमान सरकार को लेना पड़ा.
प्रबंध परिषद में कौन-कौन हैं
कुलाधिपति डॉ अशोक वाजपेयी, कुलपति डॉ पद्मनारायण, व्यवस्थापक कृष्णानंद झा, कोषाध्यक्ष रमेश बाजला, शिक्षाविद डॉ मोहनानंद मिश्र, देवघर के डॉ लक्ष्मण नेवर, देवघर के कृष्ण कुमार नेवर, दुमका के अधिवक्ता गोपेश्वर प्रसाद झा, एसपी कॉलेज दुमका की प्रोफेसर डॉ प्रमोदिनी हांसदा, नयी दिल्ली के डॉ गंगा प्रसाद विमल, सेवानिवृत्त आइपीएस राम उपदेश सिंह, नयी दिल्ली के जयश्री महापात्र, राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एचके वर्मा, पूर्व कल्याण आयुक्त भारत सरकार योगेंद्र झा, पटना विश्वविद्यालय के हिंदी स्नातकोत्तर विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ दिनेश प्रसाद सिंह, जेड.ए. इस्लामिया कॉलेज सीवान के हिंदी विभाग के रीडर डॉ हारूण शैलेंद्र, गोड्डा कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो जयकांत ठाकुर, हिंदी विद्यापीठ के कुल सचिव एवं गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय देवघर के प्राचार्य शामिल हैं.
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