इस कारण क्षेत्र के लोग उन्हें मुसाफिर विधायक भी कहने लगे हैं. विधानसभा सत्र चल रहा होता है तो वे रांची में टेंपो से विधानसभा जाते हैं. लेकिन जब वे देवघर या अपने क्षेत्र में आते हैं यहां भी वे टेंपो, किसी की बाइक या रिक्शा में घूमते हैं. लोगों से मिलते हैं. और जहां रात हुई उसी गांव में जनता के बीच ही रात गुजारते हैं. यह दिनचर्या चुनाव से एक-दो वर्ष पहले से ही चला आ रहा है, आज वे विधायक हैं फिर भी उनकी दिनचर्या नहीं बदली.
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जिस गांव में रात दस बजा वहीं डाल देते हैं डेरा
देवघर: जरमुंडी के विधायक बादल. साधारण व्यक्तित्व, सरल स्वभाव और लोगों के बीच बादल भइया के नाम से प्रसिद्ध. चुनाव से पहले भी मुसाफिर की तरह जीवन यापन कर रहे थे, विधायक बनने के बाद भी मुसाफिर की तरह कभी यहां, कभी वहां, कभी इस गांव तो कभी उस गांव में रात गुजारते हैं. इस […]
देवघर: जरमुंडी के विधायक बादल. साधारण व्यक्तित्व, सरल स्वभाव और लोगों के बीच बादल भइया के नाम से प्रसिद्ध. चुनाव से पहले भी मुसाफिर की तरह जीवन यापन कर रहे थे, विधायक बनने के बाद भी मुसाफिर की तरह कभी यहां, कभी वहां, कभी इस गांव तो कभी उस गांव में रात गुजारते हैं.
चुनाव से पहले ही त्याग दिये हैं घर
बादल, जिसने एक तरह ठान रखा है कि वे शादी नहीं करेंगे. चुनाव से पहले ही उन्होंने अपना घर त्याग दिया. क्षेत्र में ही रहते हैं. लोगों से मिलते-जुलते उनका दिन कटता है. रात को जिस गांव में ठौर मिला, वहीं बाहर ठिकाना बना लेते हैं. सुबह होते ही फिर वही दिनचर्या शुरू हो जाती है. यही कारण है कि हर कोई चाहता है कि विधायक उनके गांव में आयें व रहें.
घूमकर जानते हैं समस्या, करवाते हैं समाधान
विधायक बादल, सुबह चार बजे सुबह बिछावन छोड़ देते हैं. नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पहले अखाबार पढ़ते हैं. उसके बाद क्षेत्र व विभाग के द्वारा प्राप्त पत्रों को देखते हैं एवं अग्रेतर कार्रवाई के लिए खाका तैयार करते हैं. स्नान आदि करने के बाद सात बजे क्षेत्र में लोगों की समस्या को जानने निकल पड़ते हैं. प्रत्येक दिन दस गांवों में घर-घर जाकर लोगों से मिलते हैं एवं उनके दुख- दर्द को जानते हैं लोगों की समस्या के समाधान की दिशा में पहल करते हैं.
छोटे-मोटे विवाद को बैठकर निबटाते हैं
क्षेत्र भ्रमण के दौरान लोगों के बीच हुए विवाद का निबटारा दोनों पक्षें को बैठा कर करते हैं. इस कारण गांव के छोटे-मोटे मामले थाने से पहले ही निबट जाते हैं. रात दस बजे तक लोगों से मिलने का सिलसिला चलता रहता है. जिस गांव में दस बज जाता है उसी गांव में डेरा डाल देते हैं एवं रात भर वहां के लोगों के साथ रह कर उनकी समस्या जानते हैं, गांव वालों के साथ ही बैठ कर रूखी-सूखी खाकर सो जाते हैं. विधायक बादल हमेशा कहते रहे हैं कि मुसाफिर की तरह जनता के बीच गया, चुनाव जीता, मुसाफिर की तरह ही जनता की सेवा करता रहूंगा.
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