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प्रवचन::::स्वाधिष्ठान शक्ति का मूल आवास है

स्वाधिष्ठान: स्वाधिष्ठान का अर्थ है- ‘अपना निवास स्थान’ . मेरुदंड के सबसे निचले छोर जिले पुच्छास्थि कहते हैं, में स्वाधिष्ठान की स्थिति है. यदि आप अपनी उंगली गुदाद्वार में थोड़ा ऊपर दोनों नितम्बों के बीच रखें तो आपको एक गुठली जैसी अस्थि मिलेगी. यही पुच्छास्थि और स्वाधिष्ठान चक्र का मूल स्थान है. शरीर में सामने […]

स्वाधिष्ठान: स्वाधिष्ठान का अर्थ है- ‘अपना निवास स्थान’ . मेरुदंड के सबसे निचले छोर जिले पुच्छास्थि कहते हैं, में स्वाधिष्ठान की स्थिति है. यदि आप अपनी उंगली गुदाद्वार में थोड़ा ऊपर दोनों नितम्बों के बीच रखें तो आपको एक गुठली जैसी अस्थि मिलेगी. यही पुच्छास्थि और स्वाधिष्ठान चक्र का मूल स्थान है. शरीर में सामने की ओर जननांगों के ऊपर की अस्थि की सीध में स्वाधिष्ठान चक्र स्थित है. कहा जाता है कि कभी स्वाधिष्ठान चक्र कुण्डलिनी शक्ति का आवास था, परंतु वह वहां से गिरकर मूलाधार में जा पहुंची. अतएव स्वाधिष्ठान शक्ति का मूल आवास कहा जा सकता है. स्वाधिष्ठान का सीधा तथा गहरा संबंध अचेतन मन से होता है जो संस्कारों का भंडार-गृह है. ऐसा कहा जाता है कि पूर्व जन्म के कर्म, अनुभव तथा संस्कार मस्तिष्क के अचेतन प्रखंड में भरे रहते हैं जिसका संबं स्वाधिष्ठान चक्र से होता है.

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