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प्रवचन::: चक्रों की स्थिति का ज्ञान आवश्यक है

क्रियायोग अथवा ध्यान के उच्च अभ्यास के लिये चक्रों तथा शरीर में उनकी स्थिति का उचित ज्ञान होना एक प्राथमिक आवश्यकता है. यदि आपका लक्ष्य कुण्डलिनी को जागृत करना है तो इसके लिए आपका मन शुद्ध होना चाहिये तथा आपको सभी चक्रों के विषय में उचित जानकारी होनी आवश्यक है. उन्हें न केवल जानिये, बल्कि […]

क्रियायोग अथवा ध्यान के उच्च अभ्यास के लिये चक्रों तथा शरीर में उनकी स्थिति का उचित ज्ञान होना एक प्राथमिक आवश्यकता है. यदि आपका लक्ष्य कुण्डलिनी को जागृत करना है तो इसके लिए आपका मन शुद्ध होना चाहिये तथा आपको सभी चक्रों के विषय में उचित जानकारी होनी आवश्यक है. उन्हें न केवल जानिये, बल्कि उनका शुद्धिकरण भी कीजिये. कुण्डलिनी के जागरण का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि इससे मस्तिष्क के सभी सुप्त केंद्र जागृत तथा सक्रिय हों, क्योंकि चक्रों का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है. जब कोई चक्र जागता है तो उससे संबंधित मस्तिष्कीय क्षेत्र को इसकी सूचना मिलती है तथा जागरण की प्रक्रिया मणिपुर, अनाहत अथवा किसी अन्य चक्र से प्रारंभ कर सकते हैं तथापि शुरू-शुरू में हमारा स्थूल मन मूलाधार चक्र पर अपेक्षाकृत अधिक सरलता से एकाग्र होता है. अतएव चक्रों का जागरण मूलाधार से प्रारंभ होना चाहिये.

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