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कहा था गुजरात काम करने गये हैं पिता

देवघर: जफरुद्दीन अंसारी हाकीम के लापता होने के मामले में गांववालों को टहलाते रहा. पूछने पर कहता था पिताजी काम करने गुजरात गये हैं. समय बढ़ता गया. देखते-देखते चार महीना बीत गया. एक दिन पूछने पर उसने ग्रामीणों से कहा कि अब आ जायेंगे. दो महीने पूर्व हाकीम की छोटी पुत्री की शादी हुई. उस […]

देवघर: जफरुद्दीन अंसारी हाकीम के लापता होने के मामले में गांववालों को टहलाते रहा. पूछने पर कहता था पिताजी काम करने गुजरात गये हैं. समय बढ़ता गया. देखते-देखते चार महीना बीत गया. एक दिन पूछने पर उसने ग्रामीणों से कहा कि अब आ जायेंगे. दो महीने पूर्व हाकीम की छोटी पुत्री की शादी हुई. उस वक्त भी वह नहीं था. ग्रामीणों के पूछने पर पुत्र ने जवाब दिया कि पिताजी लड़की के छेड़छाड़ मामले में गुजरात में पकड़े गये हैं. वे जेल में हैं, इसलिए आ नहीं सके. बहन की शादी के वक्त भी जफरुद्दीन ने पिताजी के कमरे में बंद ताला नहीं खोला था.

कैसे खुला मामला
ग्रामीणों के अनुसार जिस वर्ष मुसलिम समुदाय के घर में किसी की मौत होती है तो उस वर्ष त्योहार एक दिन पूर्व मनाया जाता है. इधर, 24 तारीख को हो रही सब-ए-बारात त्योहार जफरुद्दीन के घर में एक दिन पूर्व ही मनाया गया. इस पर ग्रामीणों की शंका बढ़ गयी. दबाव देकर जफरुद्दीन से पूछताछ की गयी, तब वह टूट गया.

मामा है मास्टर माइंड, भाई-बहन ने की हत्या
पुलिस के सामने पूछताछ में जफरुद्दीन ने कबूला है कि दुमका जिले के जरमुंडी थाना क्षेत्र के योगिया मोड़, हथनामा गांव निवासी मामा दिनु अंसारी घटना का मास्टर माइंड है. वहीं बहनोई सोनारायठाढ़ी थाना क्षेत्र के चंद्रपुरा निवासी मुजाहिस सहित बहन शहनाज, जिरवा, मेहरुन व मां अलिजान बीबी के साथ मिल कर पिता की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश को पिता के कमरे में ही जमीन के अंदर गाड़ दिया था. उक्त जगह पर ऊपर से लकड़ी रख दिया था. पुलिस इन आरोपितों की तलाश में छापेमारी अभियान में जुटी है. सारा घटनाक्रम जफरुद्दीन की पत्नी ममीना बीबी के सामने घटित हुआ है. पुलिस उसे सरकारी गवाह बनाने की फिराक में है.

छह माह से मसजिद में रहता था हाकीम
गांववालों के अनुसार हाकीम पहले परिवार चलाने के लिए रिक्शा चलाता था. डेढ़ साल पूर्व शरीर से कमजोर हुआ तो मजबूरी में रिक्शा चलाना छोड़ दिया. घरवाले उसे खाना देने में किचकिच करते थे. अक्सर उसके साथ झंझट होता था. बीच-बीच में ग्रामीण पंचायती भी करते थे. लापता होने के छह महीने से वह मांग कर इधर-उधर से खाना खाता था. रात में घर के सामने मसजिद में रहने लगा था. कभी-कभी पेट के कारण सप्ताह भर तक मांगने बाहर चला जाता था, किंतु बीच में लौट भी आता था. मुहर्रम के दिन दोपहर तक हाकीम गांव में लाठी खेला था व दूसरे दिन से वह लापता हुआ था.

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