संवाददाता, रिखियापीठ शतचंडी यज्ञ में जगत शक्ति की आराधना होती है. शक्ति की पूजा से नकारात्मक विचार खत्म होती है. इसलिए भक्तों को देवी के यज्ञ में अनिवार्य रुप से शामिल होना चाहिए . उक्त बातें स्वामी सत्संगीजी ने रिखियापीठ में प्रवचन में कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष व अहंकार जैसी नकारात्मक विचार अध्यात्म व गुरु के सानिध्य से ही दूर हो सकता है. गुरु व अध्यात्म का सानिध्य प्राप्त कर मनुष्य जीवन की मूल धारा में जुड़ सकते हैं. यज्ञ में शामिल होने से भक्ति जागृत होगी व इससे सकारात्मक विचार आयेंगे. भक्ति में शंका का कोई स्थान नहीं है. भक्ति के लिए श्रद्धा समर्पित करना होगा. यज्ञ में प्रकृति की आराधना होती है और प्रकृति एक शक्ति है. इसलिए शक्ति की आराधना कीजिए.
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यज्ञ से खत्म होता है नकारात्मक विचार : स्वामी सत्संगीजी
संवाददाता, रिखियापीठ शतचंडी यज्ञ में जगत शक्ति की आराधना होती है. शक्ति की पूजा से नकारात्मक विचार खत्म होती है. इसलिए भक्तों को देवी के यज्ञ में अनिवार्य रुप से शामिल होना चाहिए . उक्त बातें स्वामी सत्संगीजी ने रिखियापीठ में प्रवचन में कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष व […]
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