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भगवान स्वयं रस रूप हैं : उज्ज्वल महाराज

फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघररस ही रास है. भगवान स्वयं रस स्वरूप हैं. उक्त बातें उज्ज्वल शांडिल्य महाराज ने कही. महाराज जी अग्रहरि आश्रम में आयोजित भागवत कथा में प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने बुधवार को कहा कि भगवान ने वंशी को अपने अधर से लगाया. वंशी ने अपनी सारी इच्छाएं श्रीकृष्ण के […]

फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघररस ही रास है. भगवान स्वयं रस स्वरूप हैं. उक्त बातें उज्ज्वल शांडिल्य महाराज ने कही. महाराज जी अग्रहरि आश्रम में आयोजित भागवत कथा में प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने बुधवार को कहा कि भगवान ने वंशी को अपने अधर से लगाया. वंशी ने अपनी सारी इच्छाएं श्रीकृष्ण के चरणों में सौंप दी है. जीव जब तक इच्छायुक्त रहता है तब तक भगवान की परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता है. इच्छामुक्त होते ही परमात्मा जीव को अपना कर धन्य-धन्य कर देते हैं. उन्होंने श्रीकृष्ण विवाह की कथा कहते हुए बताया कि 16108 वेद मंत्र ही स्त्रीरूप धारण करके भगवान की पत्नियां बनीं. वेद मंत्रों के परम तात्पर्य भगवान श्री कृष्ण ही हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में सुभाष पांडेय, सोमनाथ मिश्रा, कार्तिक खवाड़े, नंद लाल पांडेय, अजीत तिवारी आदि सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं.

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