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देवघर : झारखंड में शूटिंग के लिए निर्माताओं की लगी है लाइन

विजय कुमार, देवघर : तपोवन के पास के गांव में ‘आधार’ फिल्म के सेट पर पहुंचे पंचलैट के निर्देशक प्रेम प्रकाश मोदी के थियेटर से निकल कर फिल्म को डायरेक्ट करना एवं लंबे समय से फिल्मी दुनिया में स्थापित रहने तक के सफर पर प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के अंश… […]

विजय कुमार, देवघर : तपोवन के पास के गांव में ‘आधार’ फिल्म के सेट पर पहुंचे पंचलैट के निर्देशक प्रेम प्रकाश मोदी के थियेटर से निकल कर फिल्म को डायरेक्ट करना एवं लंबे समय से फिल्मी दुनिया में स्थापित रहने तक के सफर पर प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के अंश…

सवाल : आज के दौर में जब प्रोड्यसर मार-धाड़ व एक्शन फिल्म बनाने में व्यस्त होते हैं. ऐसे वक्त में फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर पंचलेट फिल्म बनाने का आइडिया कहां से आया.
जवाब : फणीश्वरनाथ रेणु हमेशा ग्रामीण भारत के परिदृश्य में लिखते थे. निश्चित रूप से इस प्रकार की कहानी पर फिल्म बनाना बहुत ही मुश्किल था. शरदचंद मेरे अच्छे मित्र हैं. इस वजह से देवघर में फिल्म डायरेक्ट करने के बारे में सोचा. देवघर के दुधनिया, बभनगामा, कोठिया, सरसा कुशमाहा, पांडेश्वरनाथ में शूटिंग हुई. फिल्म वर्ष 2017 के नवंबर में रिलीज हुई व इसे अच्छा रिस्पांस मिला. गोआ में फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म झारखंड से भेजी गयी थी व इसे अच्छी सराहना मिली.
सवाल : थियेटर से निकल कर टीवी में एक्टिंग करना, फिर फिल्म डायरेक्ट करना. कितना कठिन रहा.
जवाब : कोलकाता व जमशेदपुर में थियेटर करता था. टेलीविजन में आया. एक्टिंग करने लगा. फिर एक्टर अर्पणा सेन, गुलबहार सिंह, अंजन दास को असिस्ट करना शुरू किया.
बंगला फिल्म का निर्देशन किया. बंगला के प्रख्यात राइटर समरेश मजूमदार की कहानियां डिटेक्टिव जोनर पर होती है. जैसे फेलू दा, व्योम दा हैं. समरेश मजुमदार की अर्जुन कहानी पर ‘अर्जुन कलिंगपोंगे सीताहरण’ फिल्म बनायी. उसमें बंगाल के बड़े एक्टर थे. हमेशा से यही रहा है कि झारखंड में कुछ करूं. जल्द ही दूसरी हिंदी फिल्म फ्लोर पर जायेगी. फिल्म का टाइटल तैयार नहीं है. यह मॉर्डन परिप्रेक्ष्य में है.
सवाल : मॉडर्न परिप्रेक्ष्य में फिल्मी दृष्टिकोण से झारखंड का लोकेशन कितना प्रभावित करता है. आने वाले वक्त में झारखंड में शूटिंग की क्या स्थिति होगी.
जवाब : झारखंड फिल्म उद्योग के लिए उभरता राज्य है. फिल्मों के अनुसार पूरे झारखंड में कई लोकेशन हैं. रांची साइड में ब्यूटी है. दुमका में धात्री पन्ना फिल्म बनी थी. उसे नेशनल अवार्ड भी मिला है. झारखंड में बहुत ज्यादा स्कोप है. बॉलीवुड की करीब 250 फिल्म की शूटिंग करने के लिए निर्माताओं की कतार लगी है. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है.
सवाल : फिल्मों का दौर तेजी से बदला है. आज का यंग जेनरेशन कैसी फिल्म देखना चाहता है.
जवाब : फिल्मों का दौर काफी बदला है. हमलोग 60 व 70 के दशक में मारधाड़, गाना-बजाना वाला फिल्म देखकर बड़े हुए थे. अभी का यंग जेनरेशन रियलिस्टिक फिल्म देखना चाहते हैं. जिसमें कंटेंट हो, कहानी हो.
बे मतलब का गाना बजाना वाला फिल्म नहीं देखना चाहते हैं. जैसे आधार फिल्म आधार कार्ड पर आधारित है. पंचलेट फिल्म एक पेट्रोमेक्स पर आधारित है. अभी इस प्रकार की फिल्मों का दौर है.
सवाल : मल्टीस्टारर व बड़ी बजट की फिल्मों की तुलना में ग्रामीण परिवेश में फिल्में बनाना एवं कलाकारों को स्थापित करना. कितना चैलेंजिंग जॉब है.
जवाब : बड़ी-बड़ी फिल्में फ्लॉप हो जा रही है. हाल के दिनों में कई बड़े स्टार की फिल्में भी नहीं चली. वहीं कई कम बजट वाली फिल्में दर्शकों को काफी पसंद आयी है. फिल्मों का दौर बदल रहा है. छोटी फिल्माें को भी मार्केट मिले, इसकी लड़ाई चल रही है. हमारा फिल्म वर्ल्ड कॉमर्शियल है. स्क्रीन पाना बहुत मुश्किल है.
लेकिन, धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. फिल्म इंडस्ट्री व दर्शकों की नजर में भी हीरो के मायने बदले हैं. कहानी अगर गांव की है तो गांव का चाय बेचने वाला भी हीरो हो सकता है. सार्थक (रियल) सिनेमा यही है.
सवाल : झारखंड में फिल्म इंडस्ट्री की क्या संभावनाएं देखते हैं.
जवाब : अभी झारखंड सरकार आइबी मिनिस्ट्री दिल्ली भी बहुत सहयोेग कर रही है. झारखंड में भी फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए सिनेमा हॉल बनाने की बात चल रही हे. अभी किसी भी फिल्म का कलेक्शन मुंबई, दिल्ली व गुजरात से होता है. झारखंड-बिहार से कोई कलेक्शन ही नहीं होता है. कलेक्शन नहीं है, इसलिए सिनेमा हॉल नहीं हैं. सरकार कोशिश में है कि झारखंड में अच्छे सिनेमा हॉल बनाये जायें.
सवाल : झारखंड के कलाकारों का क्या भविष्य है.
जवाब : झारखंड के कलाकारों में टैलेंट की कमी नहीं है. झारखंड से मुंबई फिल्म इंडस्ट्रीज में डायरेक्टर, राइटर्स, एक्टर आ रहे हैं. धीरे-धीरे सरकार झारखंड में फिल्म इंस्टीट्यूट ला रही है. फिल्म इंस्टीट्यूट में सिनेमा मेकिंग सिखाया जायेगा. सिनेमेटोग्राफी सिखायी जायेगी. छह माह से एक वर्ष तक का कोर्स होगा.
रंगमंच के कलाकारों को मंच मिलेगा. जल्द ही आइबी मिनिस्ट्री झारखंड में बड़ा फेस्टिवल ऑर्गेनाइज होने वाला है. युवा कलाकारों को पैसे के पीछे नहीं भागना चाहिए. उन्हें अच्छी फिल्में करनी चाहिए.

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