देवघर : महिलाओं के नाम पर एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री योजना के तहत देवघर के 10 अफसरों की बीवियों के नाम से जमीन खरीदने की विभागीय प्रक्रिया को कुछ घंटों में पूरा किया गया, जबकि आमलोगों को आज भी जमीन के म्यूटेशन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है. इस जमीन की एलपीसी, रजिस्ट्री से लेकर म्यूटेशन तक निर्धारित समय पर किया गया है.
देवघर अंचल के सरसा मौजा की ऐसी जमीन का म्यूटेशन 432 घंटे में कर दिया. म्यूटेशन के आवेदन पर 24 घंटे में सुनवाई शुरू हो गयी. 12 घंटे में हल्का कर्मचारी व सीआइ ने जांच भी पूरी कर ली. 312 घंटे में सीओ ने म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी कर खरीददार के नाम से ऑनलाइन भी कर दिया. आमतौर पर म्यूटेशन की अधिकतम समय तीन माह का होता है, लेकिन इस मामले में 18वें दिन ही सारी प्रक्रिया पूरी हो गयी.
रजिस्ट्री व एलपीसी में भी नहीं हुई थी देरी : 10 अफसरों की बीवियों के नाम से 92,000 वर्गफीट जमीन की एलपीसी महज दो माह में जारी कर दिया गया. जिस जमीन को देवघर के सीओ जयवर्धन कुमार की पत्नी समेत दस अफसरों को बेची जाने वाली थी, उस जमीन की एलपीसी की जांच हल्का कर्मचारी से लेकर सीआइ व सीओ ने बगैर देर किये तय समय पर पूरा कर रिपोर्ट जिलास्तरीय कमेटी को सौंप दी गयी.
कमेटी ने भी समय पर एलपीसी जारी कर दिया, जिसके बाद जमीन की रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया गया, यहां भी तत्परता दिखी व निर्धारित समय पर अलग-अलग तिथियों में जमीन की रजिस्ट्री हो गयी.
म्यूटेशन की जांच 12 घंटे में पूरी हो गयी : सीओ जयवर्धन की पत्नी नीलम कुमारी ने 10 जुलाई 2018 को म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया. 11 जुलाई को उनके आवेदन पर सुनवाई हो गयी व हल्का कर्मचारी को अग्रसारित कर दिया गया. हल्का कर्मचारी व सीआइ ने 12 घंटे में ही सीओ साहब की पत्नी के नाम से जमीन का म्यूटेशन करने के लिए जांच पूरी कर रिपोर्ट दे डाली. 29 जुलाई 2018 को सीओ ने अपनी पत्नी के नाम से म्यूटेशन कर दिया.
जमीन खरीदने से किया इंकार : कल के अंक में ‘देवघर के अफसरों की बीवियों ने खरीदी जमीन’ हेडिंग से प्रकाशित खबर पर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग में उप सचिव के पद पर पदस्थापित चन्द्रभूषण प्रसाद ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि उनका इस खबर से कोई लेना-देना नहीं है. न तो उन्होंने व न ही उनके किसी संबंधी ने देवघर के सरसा मौजा में कोई जमीन खरीदी है. वे रमण कुमार सिंह को जानते तक नहीं हैं, जिसका गार्जियन खबर में उन्हें बताया गया था. उनका नाम भी चंद्रभूषण सिंह छप गया था.