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बेलाबगान का तालाब दे रहा स्वच्छता संदेश

देवघर : एक तरफ आम से लेकर खास तक हाथों में झाड़ू थामे स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं, इसके बाद भी स्वच्छता की वह तस्वीर नहीं दिखायी देती जिसका लोग संकल्प कर रहे हैं. स्वच्छता अभियान को धरातल पर उतारने के लिए एक संकल्प ही नहीं बल्कि इच्छाशक्ति की भी जरूरत है. देवघर के […]

देवघर : एक तरफ आम से लेकर खास तक हाथों में झाड़ू थामे स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं, इसके बाद भी स्वच्छता की वह तस्वीर नहीं दिखायी देती जिसका लोग संकल्प कर रहे हैं. स्वच्छता अभियान को धरातल पर उतारने के लिए एक संकल्प ही नहीं बल्कि इच्छाशक्ति की भी जरूरत है. देवघर के बेलाबगान के लोगों ने इसी इच्छाशक्ति के साथ तीन साल पहले जीर्ण-शीर्ण तालाब का जो कायाकल्प किया. यह शिवगंगा तालाब की सफाई की कवायद करने वाले लोगों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है.
देवघर की आस्था का प्रतीक बन चुके शिवगंगा में भले ही श्रद्धालु स्नान कर खुद को धन्य महसूस करते हैं, लेकिन शिवगंगा के प्रदूषित हो चुके जल व आसपास गंदगी को साफ करने के सारे प्रयास धरे-के-धरे रह गये. शिवगंगा के पानी की सफाई के लिए करोड़ों का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया गया. इसके बाद भी यहां प्रतिमा विसर्जन करने से पानी दूषित हो गया.
इसी के विपरीत बेलाबगान में कभी जीर्ण-शीर्ण पड़ चुके तालाब का मुहल्लेवासियों ने कायाकल्प कर यहां रौनक ला दी. बेलाबगान का तालाब तीन साल पहले तक मुहल्ले सहित आसपास की प्रतिमाओं के विसर्जन से दूषित हाे गया था. इसमें स्नान करना भी खतरे से खाली नहीं था. तीन साल पहले तालाब को बचाने के लिए मुहल्ले के लोग आगे आये.
उन्होंने बैठक कर हर हालत में तालाब को बचाने का संकल्प लिया. तालाब को साफ रखने के लिए ठोस निर्णय लिया. इसमें पूजा सामग्री से लेकर प्रतिमा विसर्जन तक पर पाबंदी लगायी गयी. नियम को कड़ाई से लागू करने के लिए मुहल्ले के लोग हर समय चौकस रहते हैं. इसी का परिणाम है कि अब तालाब का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है.
तालाब में पानी भी भरा है आैर यह लोगों को आकर्षित भी कर रहा है. लोगों की आस्था देख कर विधायक नारायण दास भी मदद को सामने आये. उन्होंने विधायक फंड से साढ़े आठ लाख रुपये देकर तालाब का सौंदर्यीकरण करवा दिया. इसका उद्घाटन 10 अक्तूबर को होनेवाला है. विधायक फंड से तालाब के दो तरफ सीढ़ी व दो तरफ पानी का स्रोत बनाये रखने के लिए पत्थर बिछवा दिया गया है.
पहले शाम में भय लगता था : तीन साल पहले तक तालाब के चारों ओर जंगल-झाड़ी उग आयी थी. तालाब के आसपास जाने से भी लोग डरते थे. अब तालाब के सौंदर्यीकरण होने से शाम होते ही मुहल्ले के लोग प्राकृतिक आनंद लेने आते हैं.
तालाब का संक्षिप्त विवरण : बेलाबगान का तालाब 1922 में मां दुर्गा के अनन्य भक्त शिव काली साेम ने बनवाया था. इस तालाब का किनारा शुरुआत में कच्ची मिट्टी का था. इसमें शिव काली सोम स्नान कर मां की पूजा-अर्चना करते थे. दशहरा में मां दुर्गा की पूजा के उपरांत प्रतिमा का विसर्जन करते थे. यह परंपरा आज तक जारी है. इस तालाब के निर्माण से मुहल्ले का जल स्तर स्थिर है. इससे लोगों को पानी की किल्लत नहीं हो रही है.
8.5 लाख रुपये के विधायक फंड से बना
मां दुर्गा की प्रतिमा छोड़ नहीं होता है किसी अन्य प्रतिमा का विसर्जन
इनका प्रयास लाया रंग : तालाब के सौंदर्यीकरण व इसकी रौनक बरकरार रखने के लिए मंदिर समिति के अध्यक्ष कामदेव रजक, संजीव राय, शिव जी सिंह, सुनीत आनंद, पप्पू राउत, शैलेंद्र सिंह उर्फ मुन्ना, दीपक झा, धीरज कुमार, धीरू कुमार, पवन कुमार सिंह, शुभम चक्रवर्ती, सुमन राउत, नवीन शर्मा आदि जुटे हुए हैं.

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